वीरासन क्या है? | What is Virasana
इस आसन की ऐसी धारणा है कि वीरासन करने वालों में साहस, उत्साह और वीरता का विकास होता है, इसलिये इसे “वीरासन” कहा जाता है।
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वीरासन के लाभ | Virasana Benefits
- वीरासन बहुत प्रभावशाली ढंग से एक ही क्रिया में सभी बड़े और छोटे जोड़ों की कसरत करा देता है।
- इस आसन से बाहरी सक्रियता जोड़ों के हिस्सों में रक्त-संचालन बढ़ा देती है तथा उनका स्वाभाविक स्वास्थ्य ले आती है।
- यह आसन फेफड़े और सीने को सबल बनाता है।
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वीरासन की विधि | Virasana Steps
सर्वप्रथम आप जमीन पर आसन बिछाकर एक पैर को खुटने से मोड़कर उसकी एड़ी को कूल्हे के नीचे ले जायें। इस पैर की उंगलियां जमीन पर पड़ी रहेंगी।
एंड्री ऊपर रहकर कूल्हे को छूती रहेगी। फिर दूसरे पैर को भी घुटने पर से मोड़ लें तथा इसके चरण को मुड़े हुए पैर की जांध पर रख दें! इस पैर का घुटना जमीन पर पड़ा रहेगा और पैर का पंजा दूसरे पैर की जांघ पर रहेगा। अब दोनों हाथों को अपनी-अपनी तरफ जहां तक आसानी से हो सके, खड़ा करें! अब रीढ़, गर्दन तथा सिर को सीधा करें।
दृष्टि सामने की ओर रहे। हथेलियों और उंगलियों को सटाये रखें। कुहनियां सीधी ही खड़ी रहेंगी, स्वाभाविक रूप से सांस लेते रहें। इसी स्थिति में आप छः से आठ सेकेण्ड तक रुके रहें। आठ सेकेण्ड के बाद हथेलियों को खोलते हुये पूर्व स्थिति में आ जायें तथा शरीर को विश्राम करायें। जब पांच सेकेण्ड विश्राम के पश्चात् पैरों की मुद्रा बदलकर क्रिया दोहरायें।
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विशेष
इस आसन में जमीन पर आराम से बैठें। शरीर को ऊपर की ओर सीधा रखें।
वीरासन करने का समय | Time Duration of Virasana
इस आसन को आप प्रतिदिन चार बार करें। इसे छः बार तक बढ़ा सकते हैं; अर्थात् एक दिन में छः बार से अधिक न करें।
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