वातायनासन क्या है ? | What is Vatayanasana in hindi
इस आसन में एक पैर के सहारे शरीर का भार सम्भालना होता है, अतः इसे वातायनासन कहते हैं।
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वातायनासन के लाभ | Vatayanasana Benefits in Hindi
इस आसन को करने से कामवासना शान्त होती है। स्वप्नदोष भी नहीं होता इसलिए यह ब्रह्मचर्य रक्षा में सहायक होता है।
यह आसन मांसपेशियों के तनाव को दूर करता है। तथा गठिया, कंमरदर्द हर्निया में लाभ पहुंचाता है। इस
आसन से नाभि के नीचे का भाग सुन्दर तथा सुडौल बन जाता है। जो लोग एक ही जगह पर बैठे रहकर काम करते हैं और इस कारण जिनके पांव और टांगें सुन्न हो जाती हैं उनकी यह शिकायत दूर हो जाती है।
यह सरल आसन स्त्री-पुरुष दोनों के लिए समान रूप से उपयोगी है।
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वातायनासन की विधि | Vatayanasana Steps in Hindi
आसन के लिये अभ्यासी को सीधे खड़े हो जाना चाहिए। दोनों पांव परस्पर मिले रहें। अब दायें पांव को मोड़कर उसकी एड़ी को बायीं जांघ पर रखें। दोनों हाथ नीचे लटके रहें तथा उनकी अंगुलियां परस्पर सटी हुई व हथेलियां पीठ की ओर रहें।
हाथों का पिछला भाग सामने की ओर रहें। दोनों जंघाओं के बीच थोड़ा-सा फासला रहना चाहिए। अब शरीर के
सम्पूर्ण भार को एक ही पांव पर एक से पांच मिनट तक खड़े रहने का अभ्यास करें। छाती उभरी हुई, मेरूदण्ड सीधा तथा दृष्टि सीध में रहनी चाहिए ।
इसके बाद दायें पांव को नीचे लगाकर बायें घुटने को मोड़कर पूर्वोक्त क्रियाओं को दोहरायें। सम्पूर्ण अभ्यास को बारी-बारी से पांच बार तक दोहराया जा सकता है।
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विशेष
स्त्री-पुरुष दोनों के लिए उपयोगी होने के कारण इसे आसानी से किया जा सकता है।
वातायनासन करने का समय | Timing of Vatayanasana in Hindi
आसन स्थिति में आने के बाद आरम्भ में जितने सेकेण्ड खड़े हो सकते हैं खड़े होने का अभ्यास करें। फिर एक से पांच मिनट तक पैरों को बदलकर एक-एक पैर से आसन क्रिया दोहराएं।
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