त्रिभुजासन क्या है? | What is Tribhujasana ?
इस आसन में शरीर की स्थिति त्रिभुज जैसी होती है, अतः इसे हम त्रिभुजासन कहते हैं।
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त्रिभुजासन के लाभ | Tribhujasana Benefits
इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी लचीली होती है। धड़ का संचालन तथा घुमाव ठीक होता है।
रीढ़ की नसों तथा शरीर के निचले भाग के अंगों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। यह आसन पाचन क्रिया को सुधारता तथा भूख को बढ़ाता है।
यह शरीर के निचले भाग के अंगों पर विशेष प्रभाव डालता है। यदि नितम्बों, ऊपरी अंग, पिण्डली की हड्डी के कारण लंगड़ाहट हो तो वह इस अभ्यास से दूर हो जाती है।
इसके अभ्यास से सम्पूर्ण शरीर में रक्त संचरण तेजी से होता है, अतः अंग-प्रत्यंग में स्फूर्ति भर जाती है, अधिक क्रियाशील बन जाते है।
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त्रिभुजासन की विधि | Tribhujasana Steps
यह आसन दो प्रकार से किया जाता है-बैठकर तथा खड़े होकर।
फर्श पर बैठकर दायें पांव को आगे की ओर फैला लें तथा बायें पांव को घुटनों से मोड़कर कूल्हे के पास रखे। फिर आगे की ओर झुकने के साथ ही पहले फैले हुए पांव के पंजे को दायें हाथ से तथा बायें पंजे को बायें हाथ से स्पर्श करें तथा धीरे-धीरे श्वास छोड़ें।
उक्त स्थिति में पैर हाथ बदलकर दोहराएं।
खड़े होकर करने में सीधे खड़े होकर दोनों पांवों को फैला दें फिर फैली हुई बांहों को हथेलियों को बगलों की ओर रखते हुए कंधों की ऊंचाई तक उठाएं। अब धीरे-धीरे दायीं और झुके। बायें घुटने को दृढ़ एवं सीधा रखें तथा दायें हाथ को पंजे से दायें पांव की अंगुलियों का स्पर्श कराएं। बायीं भुजा को इतना फैलाएं कि वह धड़ के साथ एक सीध में हो जाए।
इसी क्रिया को पैर तथा हाथों की मुद्रा बदलकर अपनाएं।
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विशेष
यह आसन सरल है तथा कुछ दिन के अभ्यास से आसानी के साथ स्त्री,पुरुष सभी कर सकते हैं। इसमें जितना आप सरलता से झुक सकते हैं उतना ही झुकें।
त्रिभुजासन करने का समय | Timing of Tribhujasana
इस आसन को एक मुद्रा में दो से तीन मिनट तक तथा पैर-हाथ बदलकर भी दो से तीन मिनट तक धीरे-धीरे सांस लेकर छोड़ते हुए एक-एक बार करें।
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