सुप्त कोणासन विधि, लाभ और सावधानी

सुप्त कोणासन क्या है? | What is Supta Konasana ?

इस आसन में हाथों-पैरों के सहारे कोण बनाये जाते हैं, इसलिए इसे सुप्त कोणासन कहते हैं।

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सुप्त कोणासन के लाभ | Supta Konasana Benefits

सन्तुलन प्राप्त करने का यह सर्वश्रेष्ठ साधन है। इससे शरीर के सभी अंग स्फूर्तिवान बन जाते हैं।

यह अभ्यास सभी यौन ग्रंथियों के दोषों को दूर कर उन्हें सशक्त, पुष्ट व सक्रिय बनाता है।इससे काम शीतल, कामशक्ति की कमी व नपुसकता सम्बन्धित विकृतियां दूर होती हैं।

यह मेरूदण्ड को लचीला बनाकर शरीर के अनावश्यक भार को घटाता है। कमर की चौड़ाई को कम करके मोटापे को घटाता तथा स्नायु एवं पाचन संस्थान को शक्ति प्रदान कर शरीर को सुडौल बनाता है।

इस अभ्यास से रीढ़ के प्रत्येक भाग का व्यायाम हो जाता है। इसके कारण शरीर में रक्त संचार तीव्रता से होता है।

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सुप्त कोणासन की विधि | Supta Konasana Step

Supta Konasana Step

इसे अपनाने के लिए पहले लेटकर हलासन की स्थिति में आ जाएं (देखें हलासन)। फिर दोनों पांवों को जितनी दूर तक फैला सकें, फैलाएं। घुटनों को सीधा रखें। तत्पश्चात्‌ दोनों हाथों की तर्जनी तथा मध्यमा अंगुलियों द्वारा पांवों के पंजों को पकड़ें। उक्त स्थिति में 10 सेकेण्ड तक रहें तथा गहरी श्वास लें।

फिर पांवों को समीप लाकर धीरे-धीरे बांह को नीचे लाएं तथा रीढ़ को सीधा करके लेटने की स्थिति में आ जाएं और कुछ देर तक विश्राम करें।

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सुप्त कोणासन की सावधानी | Supta Konasana Precautions

इस अभ्यास को प्रारम्भ में कुछ कठिनाइयां होती हैं, परन्तु नित्य के अभ्यास से सफलता मिल जाती है।

इसे नवयुवतियां कर सकती हैं पर स्त्रियां न करें।

इससे हाथ-पैरों की नसों में तनाव बन जाता है। अतः धीरे-धीरे अभ्यास करें।

सुप्त-कोणासन करने का समय

सुप्त कोणासन (Supta Konasana) में आने के बाद 10 सेकेण्ड तक रहें। इसे तीन बार तक दोहरा सकते हैं।

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