शरीर में जहां भी वायु रुकती है, वहीं दर्द होने लगता है और रक्त संचार में रुकावट पड़ने लगती है, जिससे विकार शरीर में फैलने लगता है। वायु को शरीर से निकालने के लिए सरल तथा अति उत्तम आसन है पवनमुक्तासन।
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पवनमुक्तासन क्या है? Pawanmuktasana in Hindi
इस आसन के द्वारा अपानवायु से शरीर को रिक्त किया जाता है, अतः इस आसन को ‘पवनमुक्तासन’ कहते हैं।
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पवनमुक्तासन के लाभ- Pawanmuktasana Benefits in Hindi
- इस आसन को करने से कब्ज दूर होता है।
- रीढ़ की हड्डी के जोड़ मजबूत एवं लचीले होते हैं।
- फेफड़े और हृदय के विकार दूर होते हैं।
- पेट की चर्बी और मोटापा दूर होता है।
- गर्दन की हड्डी मजबूत होती है।
- इस आसन के अभ्यास से अपान वायु की गति ठीक होती है। पेट की अपानवायु बाहर निकल जाती है और पेट हल्का होता है। और नीचे की ओर हो जाने से बिना कष्ट गुदा द्वारा बाहर निकल जाती है ।
- शरीर के किसी भी भाग में वायु का प्रकोप नहीं होता।
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पवनमुक्तासन की विधि | Pawanmuktasana Steps in Hindi
पीठ के बल लेटे हुए दोनों पांव मिलाएं, दायीं टांग को मोड़कर घुटना छाती पर ले जाएं, दूसरी टांग बिल्कुल सीधी रहेगी और बाहर की ओर तनी हुई। श्वास भरकर दायीं टांग तथा दोनों हाथों से पेट व छाती को दबायें |
कुछ क्षण रुकें। ध्यान रहे कि जब श्वास भरकर घुटने को छाती तथा पेट पर दबायें तो सिर को भूमि पर ही टिकाएं रखें, तभी आसन सही तरह से हो सकेगा, अन्यथा वायु शरीर से बाहर नहीं होगी |
फिर श्वास बाहर निकलते हुए नासिका घुटने से लगा दें और थोड़ी देर रुकें। शरीर में ढीलापन नहीं रहेगा, श्वास भरते हुए सिर वापिस व श्वास छोड़तेहुए पांव वापिस |
अब यही क्रिया बायीं टांग से करें। फिर दोनों घुटनों को बाजुओं में लेकर श्वास भरकर दबाएं, कुछ क्षण फिर श्वास बाहर निकालते हुए नासिका घुटनों के बीच ले जाएं। कुछ देर इस स्थिति में रुके । श्वास भरते हुए यांगों को खोल दें और विश्राम करें। ध्यान मणिपूर-चक्र पर।
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विशेष
इस आसन में पीठ बल लेटकर पैर को घुटने से मोड़कर ठोड़ी से लगाया जाता है। लेटते समय शरीर सीधा रहना चाहिये। आसन करते समय सिर पूर्व दिशा की ओर रहना चाहिये। पैरों को मोड़ते हुए पेट पर अधिक भार नहीं डालना चाहिये।
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पवनमुक्तासन करने का समय – Time of Pawanmuktasana
सरलतापूर्वक जितनी देर इस स्थिति में रह सकते हैं, रहें। विश्राम कर पुनः इस क्रिया को दुहरा सकते हैं।
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पवनमुक्तासन में सावधानी | Pawanmuktasana Precautions
- यदि आपको उच्च रक्त-चाप है तो ये आसन नहीं करे।
- दिल की बीमारी में ये आसन न करे।
- हर्निया और हैपेरिसिडिटी में भी ये आसन नहीं करना चाहिए।
- महिलाओ को मासिक धर्म में इस आसन से बचाना चाहिए।
- गर्दन या कमर की कोई भी समस्या है तो यह आसन न करें।
- गर्भावस्ता के तीसरे महीने के बाद भी यह आसन न करें। स्त्रियों को गर्भाधान के बाद यह आसन नहीं करना चाहिए।
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