हरिकासन क्या है? | What is Harikasana ?
इस आसन में प्रार्थना मुद्रा में बैठा जाता है, इसलिये इसे हरिकासन कहते हैं।
हरिकासन के लाभ | Harikasana Benefits
इस आसन के अभ्यास से घुटने काफी कठोर होते हैं तथा रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। भोजनोपरांत इस आसन में बैठने से पाचन क्रिया में वृद्धि होती है।
कब्ज के रोगियों के लिये यह आसन बहुत अच्छा है। यह पांव, घुटनों तथा पंजों की वात पीड़ा एवं गृध्रसी(सियाटिका) रोग को दूर कर देता है। ध्यान के लिये यह आसन बहुत उपयुक्त है।
इस आसन में काफी समय तक बैठा जा सकता है। जिस कारण पांवों तथा जांघों की पेशियां मजबूत होती हैं। अधिकांश योगी इस मुद्रा में बैठने के अभ्यस्त होते हैं।
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हरिकासन की विधि | Harikasana Steps
घुटनों को पीछे की ओर मोड़कर उसके ऊपर बैठ जाएं। पिण्डलियां जांघों को स्पर्श करती रहें तथा पांवों के तलुवें ऊपर की ओर उल्टे उठे रहे। पंजों से लेकर घुटरीं तक का भाग भूमि पर रहें।
फिर दोनों हाथों को एकदम सीधा रखते हुए उनकी हथेलियों को घुटनों पर रखें। घुटने परस्पर मिले रहने चाहिएं। धड़, गर्दन तथा सिर तक सीधी रेखा में बने रहने चाहिए। नितम्बों को बांहों के बीच में भी रखा जा सकता हैं। इस स्थिति में जितनी अधिक देर तक रह सकें, रहें।
श्वास को सामान्य रूप से लेते-छोड़ते रहे और शान्तचित्त रहकर ध्यान को एकाग्रचित्त करके रखे। इससे मस्तिष्क शक्ति एवं ध्यान शक्ति बढ़ती है।
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विशेष
इस आसन को हल्का खाना खाकर भी किया जा सकता है। इसलिए किसी भी समय कर सकते हैं। आसन जमाने के लिये चोरस भूमि हो, नीचे चादर या दरी बिछाकर बैठें। दरी मोटी हो तथा भूमि की कठोरता घुटनों पर दबाव न डाल सके। किसी भी अवस्था की स्त्रियां और पुरुष इस आसन को कर सकते हैं।
हरिकासन करने का समय | Timing of Harikasana
इस आसन में कितनी भी देर रहा जा सकता है। फिर भी कम से कम पांच-दस मिनट जरूर रहना चाहिए।
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