द्विपाद पवनमुक्तासन क्या है? | What is Dwi Pada Pavanamuktasana
इस आसन को दोनों पांवों से पवनमुक्तासन के समान किया जाता है। इसलिए यह द्विपाद पवन-मुक्तासन कहलाता है।
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द्विपाद पवनमुक्तासन के लाभ | Dwi Pada Pavanamuktasana Benefits
यह आसन बवासीर और पेट के रोगियों के लिए लाभकारी है।
खट्टी डकारें आना, भोजन में अरुचि और अपच की शिकायतों को दूर करता है।
पेट की दूषित वायु को निकालकर पाचन क्रिया को ठीक करता है।
हर प्रकार की थकान को दूर करने तथा मोटापा कम करने में भी यह लाभकारी है।
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द्विपाद पवनमुक्तासन की विधि | Dwi Pada Pavanamuktasana Steps
पवनमुक्तासन में एक पांव को ऊपर उठाकर उसके घुटने को पेट के साथ लगाया जाता है तथा द्विपाद पवनमुक्तासन में दोनों घुटनों के पांव और दोनों घुटनों को जोड़कर ऊपर उठाया जाता है तथा उन्हें पेट की ओर दबाया जाता है। अन्य सभी विधियां पवनमुक्तासन के समान ही समझनी चाहिएं।
पवनमुक्तासन में पीठ के बल सीधे लेट जाते हैं। दोनों पांवो को परस्पर मिलाते हैं फिर दायें घुटनो को पंकड़कर पेट की ओर ज्यादा से ज्यादा दबाते हैं। इसमें बायां पैर फैला रहता है। इसके बाद दूसरे पैर से इस क्रिया को करते हैं। द्विपाद पवनमुक्तासन में दोनों पैरों के घुटनों को पेट से मिलाते हैं तथा लेटकर भी उसे सीने से लगाए रखते हैं।
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विशेष
कुछ अभ्यासी इस आसन में पांवों का बंधन छोड़े बिना झटके से सन्तुलन बनाते हुए उठकर बैठ जाते हैं तथा पुनः पीछे को लुढ़क जाते हैं। इस क्रिया को कई बार दोहराया जाता है। इसे कुम्भक स्थिति में ही करना चाहिए।
द्विपाद पवनमुक्तासन करने का समय | Timing of Dwi Pada Pavanamuktasana
आसन मुद्रा अपना लेने के बाद पांच से दस सेकण्ड तक आसन स्थिति में रहें। आसन से पूर्व की मुद्रा में आकर आठ से दस बार आसन दोहरायें।
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