बद्ध पद्मासन योगमुद्रा क्या है? | What is Baddha Padmasana Yoga Mudra?
इस आसन में बद्ध पद्मासन के साथ योगमुद्रा का भी योग है, अतः इस आसन को “बद्ध पद्मासन योगमुद्रा” कहते हैं।
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बद्ध पद्मासन योगमुद्रा के लाभ | Baddha Padmasana Yoga Mudra Benefits
इस आसन से सम्पूर्ण शरीर की सुडौलता, लचीलापन व सुघड़ता प्राप्त होती हैं।
इस आसन का ध्यान चेतना की स्फूर्ति , एकाग्रता, प्रफुल्ल्ता आदि सहज में प्रदान करता है। गहरा ध्यान विलक्षण शक्तियों को जन्म देता है।
सम्पूर्ण शरीर की कान्ति का विकास होता है। !
साथ ही पद्मासन, बद्ध पद्मासन एवं योगमुद्रा से सम्बन्धित सभी लाभ इस एक आसन में मिल जाते हैं।
बद्ध पद्मासन योगमुद्रा की विधि | Baddha Padmasana Yoga Mudra Steps
सर्वप्रथम पद्मासन की मुद्रा में बैठकर बद्ध पद्मासन की स्थिति में आ जायें। सांस को गहरा फिर रेचक करते हुए धीरे-धीरे कमर से आगे की ओर झुकिये। झुकते-झुकते अपनी नाक और सिर जमीन पर टिका लें।
फिर पूर्ण सांस बाहर निकाल दें। अब बाह्य कुम्भक करें। इस मुद्रा में सरलतापूर्वक जितनी देर रह सकते हैं, रहें। इसके बाद धीरे-धीरे सांस लेते हुए वापस बद्ध पद्मासन की मुद्रा में आ जायें।
इस क्रिया को दुबारा दुहरायें। अन्तर इतना हो कि इस बार नाक को भूमि पर न लगाकर दायें घुटने पर लगायें। रेचक करते हुए ही वह क्रिया करें। फिर सरलता से जितनी देर रुक सकते हैं, रुकें। अब पूरक करते हुए उसी मुद्रा में वापस आ जायें।
तीसरी बार भी यही क्रिया करें, किन्तु इस बार नाक बायें घुटने से लगनी चाहिये। कुछ देर रुकने के बाद पूरक करते हुए बद्ध पद्मासन की मुद्रा में आ जायें। इस प्रकार इन क्रियाओं का एक चक्र पूरा होता है।
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विशेष-
बद्ध पद्मासन की मुद्रा में आकर चित्रानुसारं, सिर को आगे की ओर झुकाकर बैठा जाता हैं। शरीर के भी अंग का संचालन झटके से या जोर देकर न करें। प्रत्येक दिन शरीर के जोड़ों पर सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिये।
पूर्व की और मुँह करके आसन लगायें। प्रारम्भ में कमर से झुकते समय अधिक नहीं झुक सकतें, धीरे-धीरे अभ्यास करते रहने से ही सफलता प्राप्त होती है।
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बद्ध पद्मासन योगमुद्रा करने का समय | Time Duration of Baddha Padmasana Yoga Mudra
इस आसन को प्रारम्भ में एक चक्र से शुरू करके बाद में 5 चक्र तक कर सकते हैं।
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