वृक्षासन | vrikshasana steps

वृक्षासन दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है ‘वृक्ष’ और ‘आसन’ से लिया गया है। जहां ‘वृक्ष’ का अर्थ होता है पेड़ और ‘आसन’ का अर्थ है मुद्रा। यह वृक्षासन मुद्रा पौराणिक कथाओं में भी मिलता है और रामायण में तो इसका वास्तविक संदर्भ हैं। रावण ने शिव की तपस्या के लिए वृक्षासन में खड़े थे। इसलिए इस मुद्रा को तब से शक्तिशाली माना जाता है। यहां वृक्षासन के बारे में बताया गया है और इसका लाभ भी बहुत अच्छे है।

इस आसन का अभ्यास खाली पेट या अपने भोजन के 4-6 घंटे पश्च्चात करने के लिए कहा जाता है। अपने ध्यान और एकाग्रता को तेज करने के लिए सुबह में वृक्षासन आसन करना बहुत सही रहता है। सुबह जल्दी उठने से आपका दिमाग साफ और तरोताजा रहता है, जिससे आपको अपनी ऊर्जा का प्रवाह सही दिशा में करने में आसानी होती है।

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वृक्षासन आसन करने की विधि- vrikshasana steps in hindi

  • वृक्षासन के सम्बन्ध में घेरण्ड संहिताकार ने लिखा है कि पहले सीधे खड़े हो जाइये, इस स्थिति में शरीर तना रहेगा। नाक से सांस सामान्य ढंग से चलेगी।
  • अब दाहिना पांव उठाकर बायें पांव के बल खड़े होने का अभ्यास कीजिये। धीरे-धीरे दाहिने पैरकी एड़ी को बायें पांव की जांघ-मूल में जमा दीजिये।
  • उपरोक्त स्थिति में अब वृक्ष (पेड़) के समान खड़े हो जाइये। यही वृक्षासन की पूर्णावस्था है।
  • प्रारम्भ में यह एक-दों मिनट ही करना चाहिये। जिस प्रकार दाहिने पांव को बायीं जांघ पर रखा है, वैसे ही बायीं एड़ी को दाहिनी जांघ की जड़ में जमाकर खड़े होने का अभ्यास करना चाहिये।
  • बारी-बारी से दोनों पैरों का अभ्यास इसी प्रकार करें।

विशेष:-

अपने पैर को ज्यादा आगे आगे न बढ़ाएं। अपने शरीर की सीमा को समझें और उसके अनुसार ही खिंचाव दे। जो पैर आप ऊपर उठा रहे उस पैर के एकमात्र हिस्से को दूसरे पैर पर न रखें। इसे कम से कम जांघ पर रखें। अपनी रीढ़ को आगे या पीछे न झुका के रखे। इसे सीधा और फैलाकर रखें।

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वृक्षासन रोग निदान और लाभ- vrikshasana benefits in hindi

देखा जाये तो वृक्षासन एक संतुलित आसन है, इसलिए, यह हमें हमारे शरीर और मन को संतुलित करना सिखाता है। यह शरीर में स्थिरता, और शांति बनाए रखने में आपकी मदद करता है और मानसिक कार्यों में सुधार करता है। आइये देखते है इस आसन के लाभ-

  1. इस आसन से टांगें मजबूत होती हैं। इस आसन का अभ्यास करने से पैरों के लिगामेंट्स भी मजबूत होते हैं।
  2. यह पैरों, पीठ और छाती की मांसपेशियों के लचीलेपन को बढ़ाता है।
  3. इस आसन को करने से सीना चौड़ा और कंधे सुदृढ़ होते हैं।
  4. यह सम्मान और आत्मविश्वास विकसित करता है।
  5. यह आपकी सहनशक्ति, एकाग्रता और प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।
  6. यह आपके मन को शांति प्रदान करता है जो अवसाद और चिंता की समस्या का सामना कर रहे हैं ।
  7. यह आमवाती दर्द को ठीक करने में मदद करता है और सुन्नता का इलाज भी करता है।
  8. यह जांघों और पिंडलियों को मजबूत करता है। और यह आपके टखने को भी मजबूत बनाता है।
  9. यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।

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वृक्षासन में सावधानी- Vrikshasana Caution in Hindi

वैसे तो मुख्य रूप से वृक्षासन हर कोई कर सकता है। लेकिन फिर भी कुछ को इसमें करते समय ध्यान रखना चाहिए। किन लोगो को इस आसन को करते समय ध्यान रखना चाहिए देखे-

  • अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर है तो इसको संतुलन में करे और अपने हाथों को छाती के बराबर ही रखें। उन्हें ऊपर की तरफ न उठाएं क्योंकि इससे हाई बीपी कम हो सकता है।
  • यदि आप चक्कर या माइग्रेन की समस्या से पीड़ित हैं, तो इस आसन को करने से बचें।
  • गर्भवती महिलाएं दो महीने तक वृक्षासन का अभ्यास कर सकती हैं लेकिन अपने अंतिम तीसरे महीने में इससे बचना चाहिए।
  • वैसे तो वृक्षासन शरीर को मज़बूत और फिर से जीवंत करता है, इसलिए यदि आपको अनिद्रा की समस्या हो तो इसे नहीं करे है।
  • सिरदर्द से पीड़ित लोगो को ये आसन नहीं करना चाहिए। सर दर्द को नहीं करे नजरअंदाज !
  • यदि किसी को ताजा ही में पैर, कंधे, हाथ या रीढ़ में चोट लगी हो तो उन्हें भी ये आसन नहीं करना चाहिए।

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वृक्षासन में संतुलन कैसे बनाये- tips to increase balance in Vrikshasana

वैसे तो निरंतर अभ्यास वृक्षासन में संतुलन बढ़ाने का एकमात्र तरीका है। लेकिन फिर भी आप कुछ अन्य तरीको को भी समायोजित कर सकते हैं।

यदि आप मन को शांत (मन अशांत है तो करे पद्मासन) और संतुलन की स्थिति में रखना चाहते हो तो आप वृक्षासन के अभ्यास से पहले कुछ श्वास और ध्यान(meditation) का अभ्यास करे।

आप यह भी सुनिश्चित करें कि आप आरामदायक पैंट पहने हो। अगर आप फिसलन वाली पेण्ट पहन हो तो, आप अपने पैर को जांघ पर नहीं टिका पते हो।

आप अपनी आँखों की टकटकी को अपने सामने एक निश्चित बिंदु पर रखें, और बिना हिलाए केवल उसी पर ध्यान केंद्रित करें। यह आपको वृक्षासन में ठीके रहने में मदद करेगा। स्वस्थ आँखों के लिए योग चक्षु व्यायाम (Chakshu Vyayam in Hindi)

वृक्षासन में स्वांस कैसे ले

वैसे तो सभी योग पोज को उचित श्वास तकनीकों के साथ करना चाहिए। वृक्षासन के साथ भी वही चीजें लागू की जाती हैं। वृक्षासन में, श्वास लें और अपने दोनों हाथों को अपने सिर के ऊपर उठाएँ और नमस्कार मुद्रा बनाएँ। उपयुक्त खिचाव(Stretching ) करें और मुद्रा को बनाए रखते हुए श्वास-प्रश्वास जारी रखें। गहरी स्वांस के साथ अपने हाथो को नीचे लाये।

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ज्ञान की बात

वृक्षासन पृथ्वी के साथ स्वयं के संबंध को याद दिलाता है क्योंकि यह सभी जीवित प्राणियों को पोषण और जीविका प्रदान करता है। वृक्षासन शरीर के सभी कमजोर वर्गों में जीवन को सम्मिलित करता है, उन्हें प्रकाश और प्राकृतिक बल से भर देता है। वृक्षासन मुद्रा के साथ मातृ पृथ्वी में खुद को जड़ कर एक होने का लचीलापन प्राप्त करें। आंतरिक रूप से बढ़ें जैसे कि आप सूरज के नीचे, चंद्रमा के नीचे और हवा में पेड़ की तरह खिलते हैं।

एक वृक्ष से भी ज्ञान प्राप्त करें, केवल ऊपर की दिशा में उठें। अपने आप को परिवर्तित करें और अपने आंतरिक-सौंदर्य को ब्रह्मांड के हाथों को पकड़ने के लिए बाहर जाने दें। योग को अपना माध्यम, उच्च आध्यात्मिक शिक्षा की ओर अपना मार्ग बनने दें।

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