वकासन की विधि, लाभ और सावधानी | Vakasana

वकासन का अर्थ | Vakasana Meaning

इस आसन को करते समय साधक के शरीर की आकृति बगुले की भांति प्रतीत होती है, इसलिये इसे “वकासन” कहते हैं।

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वकासन मुद्रा | Vakasana Pose

इस आसन में उकड़ूँ बैठकर हाथों की कोहनियों पर घुटनों को रखकर सम्पूर्ण शरीर का भार हाथों के बल पर ही
रहता है।

वकासन की सावधानी | Vakasana Precautions

इस आसन को प्रातःकाल पूर्व दिशा की ओर तथा सायंकाल पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके लगाना चाहिये।

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वकासन करने का समय |  Timing of Vakasana

इस आसन में दो-तीन सेकेण्ड रहकर अभ्यास द्वारा जितना चाहे बढ़ाएं।

वकासन के लाभ | Vakasana Benefits

इस आसन से बांहों, हथेलियों, कलाइयों, कंधों, पीठ आदि की पेशियां लवकदार और मजबूत होती हैं।

इससे शरीर के अंगों में सुघड़ता और सुडौलता भी उत्पन्न होती है।

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वकासन की विधि | Vakasana Steps

Vakasana steps

सर्वप्रथम आप जमीन दरी या कम्बल बिछाकर उस पर उकड़ूं बैठ जायें। थोड़ा अग्र भाग की ओर झुककर अपने दोनों हाथों को जमीन पर टिका दें।

अब कोहनियों को झुकाकर अपने दोनों घुटनों को ऊपर उठायें, घुटनों को कोहनियों के ऊपर बाजू पर टिका दें।

अब अपने दोनों हाथों और बांहों पर जोर डालते हुए पैरों के पंजों को ऊपर उठाइये। कमर और नितम्बों को जितना ऊपर उठा सकते हैं, उठाइये। अपने सम्पूर्ण शरीर के भार को बांहों पर उठाये हुए घुटनों का भार बांहों पर डालें और श्वास स्वाभाविक रूप से लेते रहें।

इसी स्थिति में तीन-चार सेकेण्ड तक रुके रहने के बाद पूर्व स्थिति में आ जायें और सम्पूर्ण शरीर को पूर्ण रूप से विश्राम देकर, कुछ सेकेण्ड बाद क्रिया फिर दोबारा आरम्भ कर दें। .

यह एक हठ योग आसन है, इस आसन में सिद्ध पुरुष ही “ध्यान” लगा पाते हैं। सामान्य गृहस्थ इतने समय तक इस आसन को लगा ही नहीं पाता कि इसमें ध्यान लगा सके।

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