उत्थित पद्मासन(Utthita Padmasana) एक प्रमुख मुद्रा है जो हठ योग साहित्य में शामिल किया गया है। यह हमारे शरीर के पाचन तंत्र को सुधरता है। जब इसका नियमित रूप से अभ्यास किया जाये, तो यह शरीर की मांसपेशियों और हड्डियों को भी मजबूत बना सकता है।
यह पद्मासन का ही रूपांतरण रूप है। इस आसन में, पद्मासन की स्थति में बैठकर शरीर को फर्श पर दोनों हाथों से ऊपर उठाया जाता है। यह आसन पद्मासन से अधिक कठिन है क्योंकि इस आसन में पूरा शरीर दोनों हाथों पर संतुलित होता है।
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उत्थित पद्मासन क्या है? Utthita Padmasana
उत्थित पद्मासन शब्द का अर्थ है उत्थित और पद्मासन। उत्थित का अर्थ है उठा हुआ। अर्थार्त की ऐसा आसन जिसमें ऊपर उठकर पद्मासन किया जाता है। इसमें हाथों के सहारे एक झूला-सा बनता है, इसलिये इसे “उत्थित पद्मासन” कहते हैं।
इसे बैलेंसिंग योगाभ्यास भी कहते है इसमें शरीर का सन्तुलन बनाने की आवश्यकता है। इसे तोलासन भी कहते हैं ऐसा इसलिए की क्योंकि जिसका अर्थ है संतुलन मुद्रा।
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उत्थित पद्मासन करने की विधि | Utthita Padmasana Steps in Hindi
सर्वप्रथम आप जमीन पर आसन लगाकर टांगों को सामने की ओर फैलाकर रखें, फिर टांगों को पद्मासन की स्थिति में मोड़कर बैठ जायें।
अब अपने दायें हाथ को दायीं ओर तथा बायें हाथ को बायीं ओर जमीन पर टिकाकर सम्पूर्ण शरीर को जमीन से ऊपर उठायें। जितना ऊपर उठाया जाये, उतना अधिक लाभ लोगा।
इसी स्थिति में छः से आठ सेकेण्ड तक रुके रहने के पश्चातू पूर्व स्थिति में आकर सम्पूर्ण शरीर को विश्राम करायें, विश्राम के कुछ क्षणों के पश्चात् इस आसन को दोबारा दुहरायें।
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विशेष
- इसमें पहले पद्मासन अवस्था में बैठकर दायां हाथ दायीं ओर तथा बायां हाथ बायीं ओर टिकाकर शरीर को ऊपर उठाना पड़ता है।
- इस आसान को करते समय पद्मासन खुलने न पाये।
- आपके सम्पूर्ण शरीर का भार केवल आपके दोनों हाथों पर रहे।
- दृष्टि सीधी सामने की ओर।
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उत्थित पद्मासन का समय
इस आसन को आप रोजाना तीन या चार बार कर सकते हैं।
उत्थित पद्मासन का रोग निदान और लाभ | Utthita Padmasana Benefits in Hindi
- इस आसन में शरीर को दोनों हाथों के सहारे जितनी ऊंचाई तक उठाया जायेगा, इससे उत्तना ही अधिक लाभ होगा।
- यह उदर सम्बन्धी रोगों में लाभकारी है। इस आसन के हाथन-पैरों की पेशियां सबल तथा सशक्त होती हैं।
- यह शरीर की मुख्य कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
- इस आसन का रोजाना अभ्यास करने से तनाव और चिंता दूर होती है और मानसिक शांति भी मिलती है।
- यह शरीर के पाचन तंत्र को ठीक करता है।
- इस आसन मुद्रा को udiyana bandha और mula bandha के साथ अभ्यास करने से दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास बनाने में मदद मिलती है।
- इस आसन से कंधो और हाथों की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
- यह स्वाधिष्ठान, मूलाधार और मणिपुर चक्र को सक्रिय करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है।
- यह हाथों, कोहनी, छाती और कंधों में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा और नियंत्रित करती है।
- यह हृदय और फेफड़ों को मजबूत करता है।
- आसन पेट की चर्बी को हटाने में मदद करता है।
उत्थित पद्मासन की सावधानियां | utthita padmasana precautions
- यदि आपके कंधे में दर्द या कलाई में चोट होने पर इस आसन को न करे।
- यदि घुटने में दर्द या टखने की चोट की समस्या हो तो इस आसन नहीं करे।
- हाथ में दर्द होने पर इसे नहीं करना चाहिए।
- इसका अभ्यास करते समय ध्यान रखे की आपके पैरो की पालथी नहीं खुले।
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