उत्तानपादासन की विधि और फायदे | Uttanpad Aasan

उत्तानपादासन क्‍या है? | What is Uttanpad Aasan

इस आसन को साधक पीठ के बल द्वारा भूमि पर लेटकर, दोनों पैरों को सीध में रखते हुए ऊपर उठाने की क्रिया करते हैं। अतः इसे उत्तानपादासन कहते हैं।

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उत्तानपादासन के लाभ | Uttanpad Aasan Benefits

  • इससे फेफड़ों के रोग दूर होते हैं-कफ, खांसी रोग का निदान होता है।
  • इससे मेरूदण्ड सुदृढ़ और मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

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उत्तानपादासन की विधि | Uttanpad Aasan Step

Uttanpad Aasan Step

इस आसन को करने के लिए भूमि पर चित्त लेट जाएं। शरीर सीधा रखें। दोनों हथेलियां भूमि का स्पर्श करती रहें एवं दोनों एड़ियां फर्श पर सटी रहें। दृष्टि छत की ओर रखें।

अब धीरे-धीरे श्वास खींचते हुए अपने फेफड़ों में पर्याप्त वायु भर लें तथा कुम्भक करें; अर्थात्‌ कुछ देर तक वायु को भीतर रोके रहें।

जब श्वास लेना पूरा हो जाए तब दोनों पांवों को एक साथ एक सीध में धीरे-धीरे पृथ्वी से 10 इंच ऊपर उठाएं।
उठाते समय दोनों पांव परस्पर मिले हुए, एकदम सीधे तथा तने हुए रहने चाहिएं।

यह क्रिया कुम्भक अर्थात्‌ श्वास को रोके रहने की स्थिति में होनी चाहिए। चार से आठ सेकेण्ड्स तक इस स्थिति में रहें।

जब दोनों पांव भूमि से 10 इंच ऊपर उठे रहते हैं तब उन पर अधिक जोर पड़ता है। यदि उन्हें अधिक ऊंचा उठा दिया जाये तो अधिक जोर नहीं पड़ता। अतः प्रारम्भिक अवस्था में यदि अधिक जोर पड़ने के कारण कुछ तकलीफ का अनुभव हों तो पांवों को और अधिक ऊंचा उठा देना चाहिए।

तदुपरांत पांवों को 10 इंच ऊपर उठाए रखने का अभ्यास करना चाहिए। अब श्वास छोड़ने की क्रिया जब पूरी हो तब तक दोनों पांव भी नीचे आ जाएं।

इस प्रकार अभ्यास का एक चक्र पूरा जाने पर छः से आठ सेकेण्ड्स तक विश्राम करें। तदुपरांत इसी क्रिया को 10 बार दोहराये।

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विशेष

स्त्रियों के लिये यह आसन सरल और उपयोगी है। पुरुषों और स्त्रियों के गुप्त रोगों से निदान में इससे सहायता मिलती है। धीरे-धीरे पैरों को उठाने और साधने का अभ्यास करें।

उत्तानपादासन करने का समय | Timing of uttanpadasana

उत्तानपादासन (uttanpadasana) एक बार करने के बाद छः से आठ सेकण्ड्स तक विश्राम कर 5 से 10 बार अभ्यास किया जा सकता है।

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