Trikonasana in Hindi | त्रिकोणासन

त्रिकोणासन या Trikonasana in Hindi  त्रिभुज के सामान होता है। यह आसन मांसपेशियों को मजबूत करने में और नियमित शारीरिक कार्यों में सुधार करने के लिए जाना जाता है।

त्रिकोणासन क्‍या है? | Trikonasana in Hindi

इस आसन को करते समय व्यक्ति के शरीर की मुद्रा त्रिकोण या कोन की तरह बन जाती है, अतः इसे “त्रिकोणासन | Trikonasana in Hindi” कहते हैं। यह आसन अन्य आसनो की तुलना में अलग है इसमें शरीर का संतुलन बनाने के लिए आँखों को खुला रखना चाहिए है।

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त्रिकोणासन करने का तरीका | Trikonasana Steps in Hindi

  • जमीन पर सीधे खड़े होकर दोनों पैरों के बीच ढाई फुट की दूरी रखें।
  • अब धीरे-धीरे सांस खींचते हुए दोनों हाथों को अपनी-अपनी दिशा में उठाकर कंधों की सीध में लायें।
  • हाथों को उठाते समय तना हुआ रखें। इस प्रकार दोनों हाथ एक सीध में आ जायेंगे।
  • अब सांस खींचकर कुछ देर रुकें। सांस छोड़ते हुए दायें हाथ को झुकायें, जिससे वह दायें पैर को छू सके तथा शरीर को मोड़ के साथ दूसरे हाथ को ऊपर की ओर ताने हुए मोड़ें। दायें पैर के अंगूठे को छूने की कोशिश करें।
  • अंगूठे को छूने के बाद अपना सिर ऊपर की ओर उठाकर चेहरा सामने रखें।
  • कुछ देर इसी अवस्था में रुकें और फिर आसन छोड़ें। कुछ देर विश्राम करने के बाद इस क्रिया को दूसरे हाथ से करें। इस प्रकार इस क्रिया को पूरी करके कुछ देर विश्राम करने के पश्चात्‌ दूसरी क्रिया दोहराइये।

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विशेष

इस आसन में पैरों के बीच अन्तर रखते हुए बायें हाथ से बायें पैर को,दाहिने हाथ से दायें पैर को छूते हैं और दूसरे हाथ को तना हुआ रखते हैं। इस आसन को करते समय मेरुदण्ड को तना हुआ रखना चाहिये। शरीर के अंगों को मोड़ते समय सावधानीपूर्वक करना चाहिये। आसन को करते समय शरीर व चेहरे को पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिये। आसन को करते समय शरीर को तना हुआ रखना चाहिये।

दूसरे सभी योग आसनों की तरह, यह जरुरी है कि जब आप आसन का अभ्यास करे तो आपका खाली पेट हो। यदि भोजन किया हुआ है तो सुनिश्चित करें कि भोजन किये हुए कम से कम चार से छह घंटे हो गये हो।

इसके अलावा, योग का अभ्यास करने के लिए सुबह का समय सही होता हैं। लेकिन, यदि आप सुबह योग का अभ्यास नहीं कर सकते हैं, तो शाम का समय भी अच्छा है।

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रोग निदान और लाभ- trikonasana benefits in hindi

  1. योगासन करने से मेरुदण्ड अस्थियों को मजबूती मिलती है।
  2. इस आसन को करने से पेट की समस्त क्रियायें चुस्त-दुरुस्त रहती हैं अतः कब्ज, गैस, अफारा जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है।
  3. इस आसन से फेफड़ों और रक्तवाहिनी नलिकाओं को बल मिलता है, अतः दमा, श्वास कष्ट और हृदय रोग जैसी बीमारियों से बचाव होता है।

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त्रिकोणासन में सावधानी

इस आसन को करने में कुछ सावधानी रखनी चाहिए-

  • जिन लोगो को माइग्रेन हो उसे ये आसन नहीं करना चाहिए। माइग्रेन से मिलेगा छुटकारा
  • निम्न(Low BP Symptoms) या उच्चरक्तचाप(High BP Symptoms) में भी इस आसन से बचना चाहिए। उच्चरक्तचाप(High BP
  • Symptoms) से ग्रसित लोगो को अपने हाथों को सिर के ऊपर ना उठाते हुए इस आसन को करना चाहिए। ऐसा करने से उनका रक्तचाप और अधिक हो सकता है।
  • गर्दन या पीठ पर चोट लगी हो तो इस आसन को न करें।
  • यदि आपको डायरिया है तो भी ये आसन न करे।

त्रिकोणासन या Trikonasana in Hindi न केवल शरीर को मजबूत बनाने और मजबूत बनाने में बल्कि दिमाग को तेज और संतुलित करने में भी मदद करता है। इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करना एक बहुत अच्छा विचार है।

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