हमारे शरीर को स्वस्थ और निरोगी बनाए रखने में पथ्य आहार-विहार करने और अपथ्य आहार-विहार न करने का भारी योगदान रहता है इसलिए हमें सतर्कतापूर्वक पथ्य का पालन और अपध्य का त्याग रखना चाहिए। यहां पथ्य-अपथ्य आहार-विहार के ,कुछ सामान्य हितकारी नियम प्रस्तुत किये जा रहें हैं।
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हमारे लेख के पाठक-पाठिका यह तो जानते ही होंगे: कि आयुर्वेद में चिकित्सा और औषधि सेवन से अधिक, पथ्य के पालन और अपथ्य के त्याग को महत्त्व दिया गया है और इसीलिए ऋतुचर्या के अन्तर्गत प्रत्येक ऋतु के आहार-बिहार का विवरण भी आयुर्वेद ने ही प्रस्तुत किया है। आयुर्वेद के इस अनुशासन की जानकारी अपने पाठक जगत को देने के लिए हम शुरू से ही पत्रिका के प्रत्येक अंक में पहला लेख “ऋतुचर्या’ का हीं प्रस्तुत करते आ रहे हैं। ऋतुचर्या के नियम, ऋतु के अनुसार बदलते रहते हैं लेकिन कुछ सामान्य नियम ऐसे भी हैं जिनका पालन प्रत्येक ऋतु में किया जा सकता है बल्कि किया जाना ही चाहिए।
यहां ऐसे ही कुछे सामान्य नियम प्रस्तुत किये जा रहे हैं
पथ्य-अपथ्य आहार के सामान्य नियम: Swasth Rahne ke Niyam
पथ्य अपथ्य के पालन पर ज़ोर देते हुए आयुर्वेदिक ग्रन्थ वैद्य जीवन में कहा गया है-
पथ्येसति गदार्तस्य किमौषध निषेवणै:।
पथ्येडसति गदार्तस्य किमौषध निषेवणै: ॥
रोगी पथ्य का सेवन करे तो औषधि सेवन करने की क्या ज़रूरत ? और यदि पथ्य का सेवन न करे तो फिर औषधि सेवन करने की क्या ज़रूरत यानी क्या लाभ ?
इस श्लोक में पथ्य आहार-विहार का महत्त्व और परिणाम बताया गया है। हर ऋतु में घालन योग्य कुछ सामान्य नियमों की जानकारी प्रस्तुत है।
क्या खाये क्या न खाये : Kya Khaye Kya Nahi in Hindi
(1) प्रातः कालीन भोजन के बाद थोड़ी देर तक बायीं करवट लेट कर आराम करना (सोना नहीं) और सायंकालीन भोजन के बाद थोड़ी देर टहलना पथ्य है।
(2) दिन के भोजन के अन्त में छाछ और रात्रि के भोजन के बाद दूध पीना पथ्य है। रात में दही का सेवन और भोजन के अन्त में जल पीना अपथ्य है।
(3) भोजन के तुरन्त बाद स्नान करना,दिमागी परिश्रम करना, चिन्ता या शोक करना और स्त्री-सहवास करना अपथ्य है। अपच की स्थिति में स्नान करना और रात्रि भोजन के बाद देर रात तक जागना अपथ्य है।
(4) सिर पर गर्म जल डाल कर स्नान करने से नेत्रों और बालों को हानि पहुंचती है। बहुत कम या बहुत तेज़ प्रकाश में पढ़ना- लिखना या कोई बारीक काम करना, लेटे हुए यां चलती गाड़ी में पढ़ना, ज्यादा सिनेमा या
टी वी देखना, बहुत ज्यादा गर्म-गर्म पदार्थ खाना, खटाई और लाल मिर्च का अति सेवन, धुएं में काम करना, अधिक धूप में लगातार लम्बे समय तक काम करना, सूर्य पर त्राटक करना, अग्नि के सामने ज्यादातर बैठ कर काम करना, स्त्री सहवास में अति करना और लम्बे समय तक मधुमेह रोग से ग्रस्त रहना- ये सब कारण नेत्रों के लिए हानिकारक हैं अतः अपथ्य हैं।
(5) सिर पर शीतल जल डालना, मुंह में पानी भर कर आंखें बन्द करके चेहरे व आंखों पर ठण्डे पानी के छींटे मारना, सुबह सूर्योदय होने से पहले शौच व स्नान से निवृत्त हो कर हरी दूब पर नंगे पैर टहलना, हरी शाक सब्ज़ी, पत्ता गोभी, गाजर, सौंफ, पानी वाला कच्चा नारियल, काली मिर्च, मख्खन, मिश्री, दूध, गोघूत, पर्याप्त प्रकाश में काम करना, आंखों में 2-2 बूंद गुलाब जल टपकाना, धूप में काला चश्मा लगा कर निकलना- ये सब कारण नेत्रों के लिए हितकारी होने से पथ्य हैं।
(6) यूं दिन में सोना निषिद्ध है पर रात्रि जागरण (Night Duty) करने वाले, घोर परिश्रम या लम्बी यात्रा करके आने के कारण थके हुए, वृद्ध, शिशु और अतिसार, उदरशूल, अजीर्ण, श्वास, प्यास, हिचकी, वात व कफ आदि रोगों के रोगी, रोज़ पैदल चलने वाले, जिसे सुबह बहुत जल्दी उठना पड़ा हो या रात्रि में सहवास किया हो- ऐसे व्यक्ति को भोजन करने से पहले दिन में सोना पथ्य है।
(7) वात रोग से पीड़ित, गर्भवती स्त्री,वृद्ध, बालक, क्षय या अन्य किसी रोग से पीड़ित, थका हुआ और भूख सहन करने के लिए विवश परिस्थिति में रहने वाला- इन सबके लिए उपवास करना अपथ्य है। उपवास करने से हड्डियों में पीड़ा होना या चक्कर आना,आंखों के सामने अंधेरा, हृदय में भारीपन, शरीर में कमज़ोरी का अनुभव होना- इन सब स्थितियों में उपवास करना हानिकारक होने से अपथ्य है।
(8) यदि मूत्र में अम्ल प्रतिक्रिया (Acidic Reaction) होती पाई जाए तो आहार में मख्खन, घी, मलाई, तैल आदि चिकनाई वाले पदार्थों की मात्रा बहुत कम कर दें या सेवन करना बन्द कर दें।
(9) मूत्र विसर्जन और भोजन करते समय बोलना व बातें करना अपथध्य है। मूत्र विसर्जन करते समय मुंह बन्द रख कर दांतों को दंबा कर रखना और भोजन करते समय ३२ बार चबा कर आहार निगलना पथ्य है। पानी पीने के बाद जो पहली सांस छोड़ी जाती है वह नाक से न छोड़ कर मुंह से ही छोड़ना चाहिए।
(40) जंभाई लेते समय दाहिने हाथ से चुटकी बजाना चाहिए और बायें हाथ की हथेली मुंह से लगा लेना चाहिए।
(4) ग्रीष्म काल में घर से ठण्डा पानी पी कर निकलना पथ्य है और बाहर से घर में घुसते ही ठण्डा पानी पीना अपथ्य है। फ्रिज में रखा पानी या खाद्य पदार्थ, फ्रिज से निकाल कर तुरन्त सेवन करना अपथ्य है, गर्म आहार या कोई पदार्थ खा कर तथा चिकनाई वाला पदार्थ खा कर तुरन्त ठण्डा पानी पीना अपथ्य है।
(42) खट्टे या खटाई युक्त, तेज़ मिर्च मसालेदार व नमकीन और तले हुए पदार्थ के साथ दूध पीना अपथ्य है, सुबह खाली पेट कोरा दूध पीना अपथ्य है और भूख लगने पर भोजन से पहले पानी पीना अपथ्य है।