सूर्य नमस्कार की विधि और बारह अवस्थायें (चरण)

सूर्य नमस्कार की विधि

सूर्य नमस्कार के 12 चरण बहुत ही खास हैं और कई योगियों के लिए यह सबसे अच्छा योग क्रियाओं में से एक है। सूर्य के बिना धरती पर जीवन की कल्पना नहीं कर सकते है। सूर्य नमस्कार को सम्मान देने के लिए यह एक बहुत ही प्राचीन तकनीक है। जिसमे योग के 12 आसनो को जोड़ता है।

सूर्य सर्वशक्तिमान है इसलिए प्राचीन योगियों ने सूर्य नमस्कार योग का अभ्यास किया। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और इसलिए यह योग आसन हमारे शरीर और मन को जागृत करने का एक शक्तिशाली और प्रभावी तरीका है। सूर्य नमस्कार चक्र को बढ़ाने के लिए सूर्य नमस्कार के सभी 12 चरणों का नियमित अभ्यास आवश्यकता है।

ऋषियों के अनुसार, नियमित रूप से सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से ये सौर जाल बढ़ सकते हैं और इससे व्यक्ति की रचनात्मक शक्ति और सहज क्षमताओं में वृद्धि होती है।

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सूर्य नमस्कार की पहली अवस्था (प्रणामासन)

Surya Namaskar Step 1 in hindi

यह विधि दोनों हाथों को जोड़कर की जाती है।

विधि

इस क्रिया को करने के लिये प्रातःकाल में उंगते हुए सूर्य की ओर मुंह करके किसी आसन पर खड़े होते हैं। इस समय सावधान की मुद्रा में होना चाहिये। एकदम सीधे खड़े रहिये और दोनों भुजाओं को कोहनियों से मोड़कर प्रणाम की मुद्रा में बना लें। सूर्य की ओर देखते हुए उसंका ध्यान लगाकर ‘ॐ’ का जाप पूरे स्वर में धीरे-धीरे करना चाहिये।

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सूर्य नमस्कार की दूसरी अवस्था (हस्त उत्तानासन)

Surya Namaskar Step 2 in hindi

इस अवस्था में दोनों हाथों को जोड़कर पीछे की ओर झुकना होता है।

विधि

शरीर को सावधान की मुद्रा में एकदम सीधा रखते हुए पूरक सांस लीजिये। दोनों हाथों को ऊपर उठाइये। कुम्भक करें। हाथों को पूरी तरह तानकर हथेलियों को आसमान की तरफ खोलकर ताने रहें। कमर से पीछे की ओर झुकिए।

टांगों, हाथों एवं शरीर को ताने रखें। “ॐ” का जाप मन ही मन करते रहें। इस क्रिया को करते समय कमर का ऊपर का भाग ही पीछे की ओर झुकाना चाहिये, बांकी कमर से नीचे का भाग एकदम सीधा रहना चाहिये।

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सूर्य नमस्कार की तीसरी अवस्था (पादहस्तासन)

Surya Namaskar Step 3 in hindi

इस क्रिया में आगे की ओर झुककर हथेलियों को जमीन से स्पर्श करते रहे।

विधि

दूसरी क्रिया के बाद दोनों हथेलियों को ताने हुए ही कुम्भक लगाइये। सीधे हो जाइये, रेचक कीजिये। हाथों को ताने हुए ही कमर से आगे की ओर झुकिये। झुककर दोनों हाथों को पैरों के सामने कुछ हटाकर दोनों ओर जमाइये। झुकते हुए सिर को घुटनों से लगाकर हाथों को धीरे-धीरे सरकाते हुए पैरों के दोनों ओर जमाइये। “ॐ” का जाप॑ मन-ही-मन करें। पादहस्तासन कैसे करे

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सूर्य नमस्कार की चौथी अवस्था (अश्व संचालनासन)

Surya Namaskar Step 4 in hindi

यह क्रिया जमीन पर बैठकर की जाती है।

विधि

तीसरी क्रिया के बाद पूरक करते हुए आसन खोलें। अब उकडूं बैठ जायें। पूरक करें और कुम्भक करके बायीं टांग को पीछे धीरे-धीरे तानिये। हाथों की दायी टांग के आगे रखकर गर्दन को पीछे की ओर तानकर मन-ही-मन “ॐ” का जाप करें।

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सूर्य नमस्कार की पांचवीं अवस्था (चतुरंग दंडासन)

Surya Namaskar Step 5 in hindi

इस क्रिया में पेट के बल लेटकर सारे शरीर का भार दोनों हाथों की हथेलियों व पैरों के पंजों पर डालते हैं।

विधि

चौथी क्रिया के बाद दोनों हाथों को आगे करके पांवों के समान्तर सीधा जमीन पर जमायें फिर दोनों को पीछे करके तानें। सिर को सीधा करके सूर्य की ओर देखिये और रेचक “ॐ” का जाप मन-ही-मन करें।

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सूर्य नमस्कार की छठी अवस्था (अष्टांग नमस्कार)

Surya Namaskar Step 6 in hindi

यह क्रिया पेट के बल लेटकर की जाती है।

विधि

इस क्रिया में रेचक के बाद बाह्र्य कुंभक लगाते हुए दोनों हाथों और पंजों को भूमि पर जमाइये। अब बाजुओं को कोहनियो से मोड़कर माथा, छाती और घुटनों को भूमि पर टिका दीजिये। यह स्थिति अष्टांग प्रमाण की स्थिति है। मन-ही-मन “ॐ” का जाप करें। इस क्रिया में शरीर का भार पैरों के पंजों और हाथों की हथेलियों पर डालते हैं।

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सूर्य नमस्कार की सातवीं अवस्था (भुजंगासन)

Surya Namaskar Step 7 in hindi

इस क्रिया में पेट के बल लेटकर शरीर को मोड़ते हुए नितम्बों को ऊपर उठाते हैं।

विधि

हाथों को भूमि पर जमाकर रखें। रेचक करते हुए दोनों टांगों को हाथों की ओर करके कमर से मोड़कर नितम्बों को ऊपर उठाइये। दोनों हाथों के मध्य सिर को लाते हुए घुटनों को देखिये! फिर मन-ही-मन “ॐ” का जाप करते रहें। इस क्रिया में शरीर को तानकर रखें।

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सूर्य नमस्कार की आठवीं अवस्था (अधोमुक्त श्वानासन/पर्वतासन)

Surya Namaskar Step 8 in hindi

इस क्रिया में छाती और कूल्हे को ऊपर उठाये और सारे शरीर का भार दोनों हाथों की हथेलियों व पैरों के पंजों पर डालते हैं।

विधि

लेट जाएं, भुजंगासन से हटकर छाती को ऊपर उठाये, आपकी पीठ छत की ओर है। साँस छोड़ते और एक उलटा ‘वी’ बनाने के लिए अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं। जमीन पर अपनी एड़ी रखने की कोशिश करते हुए अपनी कोहनी और घुटनों को सीधा रखे। हर साँस और साँस के साथ, खिंचाव में गहराई से जाएँ। अपनी नाभि की ओर देखें।

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सूर्य नमस्कार की नौवीं अवस्था (अश्व संचालनासन)

Surya Namaskar Step 9 in hindi

इस क्रिया में एक टांग फैलाकर व एक टांग को घुटने से मोड़कर बैठते हैं।

विधि

हाथों को जमीन पर जमाकर रखें। पूरक करते हुए बायीं टांग को घुटने से मोड़कर सामने लायें। अब बायें पांव को दोनों हाथों के बीच जमीन पर जमाकर चौथी क्रिया की मुद्रा के समान दायीं टांग को फैलायें। कुम्भक लगाइये, आकाश के सूर्य की ओर देखते हुए ”ॐ” का जाप करें।

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सूर्य नमस्कार की दसर्वी अवस्था (पादहस्तासन)

Surya Namaskar Step 10 in hindi

इस क्रिया में आगे की ओर झुककर दोनों हाथों को जमीन पर लगायें।

विधि

सावधान की मुद्रा में खड़े होकर दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाते हुए,आगे की ओर झुकते हुए जमीन पर जमाएं। अब रेचक करते हुए तीसरी क्रिया की मुद्रा में आइये। कुम्भक करें, फिर घुटनों को सिर से लगाइये। अब “ॐ” का जाप मन-ही-मन करें।

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सूर्य नमस्कार की ग्यारहवीं अवस्था (हस्त उत्तानासन)

Surya Namaskar Step 11 in hindi

इस क्रिया में दोनों हाथों को जोड़कर पीछे की ओर झुकते हैं।

विधि

पूरक करते हुए खड़े हो जायें। दोनों हाथों को ऊपर उठाकर आन्तरिक कुम्भक लगायें। दूसरी क्रिया के अनुसार पीठ, गर्दन, सिर और बांहों को पीछे झुकायें। शरीर को, टांगों को शरीर के साथ तानिये। फिर मन-ही-मन “ऊँ” का जाप करें।

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सूर्य नमस्कार की बारहवीं अवस्था (प्रणामासन)

Surya Namaskar Step 12 in hindi

इस क्रिया में सावधान की मुद्रा में खड़ा होना चाहिये।

विधि

रेचक करते हुए सीधे खड़े हो जायें। कुम्भक लगायें। प्रथम क्रिया की मुद्रा में आ जायें। प्राणायाम की मुद्रा में हाथों को जोड़ छाती के पास रखिये। खड़े होने में सावधान की मुद्रा में रहें। अब सूर्य को देखते हुए मन-ही-मन ‘ॐ” का जाप करते रहें।

इस प्रकार धीरे-धीरे एक-एक क्रिया को करते हुए बारह क्रियाओं को करें। 12 क्रियाओं का एक चक्र होता है। इस प्रकार के चक्रों का अभ्यास करना चाहिये। इसके निरन्तर अभ्यास से काफी लाभ प्राप्त होता है।

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बारहों सूर्य नमस्कार आसन करने से होने वाले निदान और लाभ

सूर्य नमस्कार के बारहों आसन क्रमबद्ध किये जाते हैं और इनसे होने वाले रोग निदान और लाभ निम्न प्रकार हैं-

  • शरीर के संभी मेरुदण्ड लचीले और मजबूत होते हैं।
  • शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। मन-मस्तिष्क तरोताजा बना रहता है। रोग, शोक, भय के विचार मस्तिष्क में पनप नहीं पाये।
  • कमर दर्द, घुटनों का दर्द, मांसपेशियों की पीड़ा के रोग इन अवस्थाओं को करने से ठीक होते हैं।
  • बराबर बने रहने वाले सिरदर्द, आधाशीशी सिरदर्द से छुटकारा मिलता।
  • कब्ज, खांसी, श्वास रोग को ये आसन पास नहीं आने देते।

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