शुक आसन क्या है? Shukasana
इस आसन में साधक की स्थिति इस प्रकार की हो जाती है जिस प्रकार बैठा हुआ तोता होता है इसलिये इसे ‘शुक आसन’ की संज्ञा दी गयी है।
इस आसन से हाथ के पंजों की पकड़ मजबूत होती है। उंगलियों, पंजों और हाथों की मांसपेशियां सुदृढ़ होकर उनमें अधिक भार-वहन की क्षमता का विकास होता है। रीढ़ की हड्डी की लचक में वृद्धि होकर उसकी सहन-शक्ति का विकास होता है।
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शुक आसन करने की विधि| Shukasana steps
दोनों एड़ियां और पंजे आपस में मिलाकर इस प्रकार उकडू बैठिये कि घुटने आपस में मिले रहकर छाती से सट जायें । शरीर का बोझ पैर के पंजों पर होना चाहिये।
अब दोनों हाथ बाजू से झुलाते नीचे लाइये। दोनों हाथों की उंगलियां फैली उंगलियों वाली हथेलियां भूमि पर पूरी तरह फैली हुई रखें।
अब इसी प्रकार पैरों के पास ही जमा दीजिये। गहरी सांस अन्दर खींचकर अन्दर ही रोककर कुम्भक कीजिये।
इसी स्थिति में हाथों की हथेलियों पर शरीर के भार का सन्तुलन बनाते हुए नितम्बों से एड़ियां यथासम्भव समीप रखते हुए ही अपना पृष्ठभाग तथा पैर ऊपर उठाकर हवा में लहरा दें।
जब सांस अन्दर न रोकी जा सके तब होठों को गोल कर सीटी की-सी ध्वनि में तोते की तरह बोलते हुए पुनः शरीर नीचे ले जायें। यही शुक आसन की पूर्ण स्थिति है।
विशेष
हाथों की दोनों हथेलियों को खोलकर तथा पैर के पंजों के बल चित्रानुसार बैठना चाहिये। दोनों हाथों की हथेलियां खुली हुई होनी चाहियें । पंजों के बल इस प्रकार बैठना चाहिये कि पैरों की एड़ियां मूलाधार से जाकर लगी रहें। दोनों घुटने मिले हुए हों।
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