शवासन योग | Shavasana in Hindi ही एक मात्रा ऐसा आसन है जिसे लेटकर किया जाता है। यह थकान मिटने के साथ कई बीमारियो को भी दूर भगाता है। मानसिक तनाव की वजह से सिरदर्द और थकन हो तो ये आसन बहुत उपयोगी है।
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शवासन क्या है?| Shavasana in Hindi
इस आसन को करते समय व्यक्ति के शरीर की स्थिति मुर्दे के समान होती है, शरीर का प्रत्येक अंग ठीला छोड़ा जाता है, अतः इस आसन को “शवासन‘ कहते हैं। “शवासन” दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, शव + आसन। शव शब्द का मतलब होता है मृत। अथार्त इस आसान में शरीर को मुर्दे की तरह ही बनाना है।
शवासन करने की विधि | Shavasana Steps in Hindi
इस आसन को करने के लिये पीठ के बल लेट जायें। दोनों हाथों को बगल में सीधा ढीला छोड़कर रखें, हाथों को शरीर से थोड़ी दूर पर रखें। पैर सीधे और एक-दूसरे से करीब बारह इंच की दूरी पर रखें । पंजे बाहर की ओर रहें। पूरे शरीर को बिल्कुल तनावरहित दीला छोड़ दें। आंखों को बन्द रखें। धीरे-धीरे बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के सांस लें। श्वसन क्रिया बिल्कुल लयमय होनी चाहिये।
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शवासन इन तीन भागो में होता है
1. शरीर का हर अंग ढीला होना चाहिए। पेअर के पंजो को हिलाकर ढीला करे। इसमें पैर की नसें ढीलीं होंगीं। कंधों को हिलाएं, इससे धड़ ढीला होगा। गर्दन को हिलाएं, इससे मस्तिष्क की नसें ढीली होंगीं। मन में यह भाव लाएं कि मेरा पूरा शरीर ढीला हो रहा है।
2. श्वास जैसे आता-जाता है, आने-जाने दें ।इससे श्वास अपने-आप सामान्य होगा। आपका श्वास जितना सूक्ष्म होगा, उतना अधिक आप अपने-आपको शिथिल कर पायेंगे।
3. पैर के अंगूठे से लेकर सिर की चोटी तक एक-एक अंग को मन की आंख से (आंखें बंद रखकर) निहारें, बिलकुल वैसे ही, जैसे खड़ा व्यक्ति लेटे व्यक्ति को देखता है। आप भी इस अंतरंग यात्रा को पूरी निष्ठा व समग्र चेतना से तथा सारी इंद्रियों को केंद्रित करते हुए पूरे ध्यानपूर्वक करें| इससे मन व शरीर विश्राम में आता है।
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दायीं और बायीं करवट का शवासन
शवासन के इस प्रकार में स्वर विज्ञान को आधार बनाया गया है । बायां श्वास शरीर को ठंडक देता है और दायां गर्मी । जब आप दायीं करवट लेटते हैं तो बायां श्वास चलता है और जब बार्यी करवट, तो दाहिना।
दायीं करवट का शवासन – शवासन को करने के लिए पहले दायीं करवट लेटें | दाहिनी कोहनी का तकिया बना कर उसे सिर के नीचे रखें । दूसरा हाथ कमर पर, टांग थोड़ी-सी मुड़ी हुई, ताकि नीचे का भाग भी शिथिल हो जाए। एक-दो मिनट इस स्थिति में लेटकर फिर बायीं करवट लेटें।
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विशेष
इस आसन में पीठ के बल लेटकंर शरीर को एकदम ढीला छोड़ दिया जाता है। भोजन करने के बाद कुछ समय के लिए बायीं करवट लेटने से भोजन का पाचन भलीप्रकार होता है।
इस आसन को करते समय सिर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिये। शवासन चित लेटकर ही करना अच्छा होता है, वैसे करवट से लेटकर भी कर सकते हैं।
शवासन सब आसनों से कठिन आसन है | इसके लिए पूरे अभ्यास की आवश्यकता है। प्रत्येक आसन के बाद शवासन करें या थोड़ी देर के लिए शरीर को ढीला छोड़कर शिथिल करें |
जब कभी आप काम करते-करते थक जाएं, बाहर से थके हुए आएं या मन किसी समस्या के कारण अशांत हो तो पांच मिनट शवासन करें। सारी थकावट दूर हो जाएगी। रात को अच्छी नींद न आती हो, तो सोने से पूर्व प्रतदिन कुछ समय के लिए शवासन करने का अभ्यास करें।
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शवासन करने का समय
इस आसन को सुविधानुसार अधिक समय तक लगाया जा सकता है।
शवासन के लाभ- Shavasana Benefits in Hindi
- हृदय और तन्त्रिका-तन्त्र को आराम पहुंचता है और रक्त परिसंचरण-तन्त्र नियंत्रित होता है।
- इस आसन को क्ररने से थकावट दूर होती है।
- शरीर को पूर्णतया विश्राम प्रदान करता है।
- यह आसन जर्जर शरीर में नवजीवन व नवचेतना का संचार करता है ।
- शवासन से स्नायुओं का कड़ापन, मस्तिष्क की अस्थिरता व अशांति आसानी से दूर की जा सकती है।
- आसन के खिंचाव के बाद जैसे ही शवासन करते हैं शुद्ध रक्त शरीर के प्रत्येक अंग के छोर तक जाता है और विकार को शिराओं द्वारा वापिस हृदय की ओर लाता है, विदित हो कि रक्त फेफड़ों में आकर शुद्ध होता है ।
- शवासन से बहुत से रोग ठीक होते हैं । रक्तचाप, हृदय रोग, नाड़ी दौर्बल्य तथा अन्य मस्तिष्क संबंधी रोगों में यह विशेष लाभदायक है।
- इससे श्वास की गति व्यवस्थित होती है । मन शांत होता है । शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ती है।
शवासन की सावधानी
देखा जाये तो शवासन की वैसे तो कोई सावधानी नहीं होती है। लेकिन ध्यान रहे की ज़्यदा देर इसको करना भी ठीक नहीं है। प्रशिक्षित योग टीचर के सहयोग से आप इसके समय को कम या ज्यादा कर सकते हैं।
इस आसन को करते समय आँखों को बंद रखे। आँखों को खुली न रखे जिसे आपका मन शांत हो सके।
आसन के समय मानसिक तनाव वाला कोई विचार न लाये। आप अपना ध्यान सांसो पर रखे।
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