शशांकासन क्या है? | What is Shashankasana?
इस आसन को करते समय व्यक्ति की मुद्रा शशांक; अर्थात् खरगोश के बैठने के समान हो जाती है, अतः इस आसन को “शशांकासन” कहते हैं।
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शशांकासन के लाभ | Shashankasana Benefits
- इस आसन को करने से हृदय,फेफड़े और सांस के विकार दूर होते हैं।
- इस आसन को करने से नस-नाड़ियां स्वस्थ एवं लचीली होती हैं।
- इस आसन में ध्यान लगाने से मन शान्त होता है, क्रोध पर नियंत्रण होता है, बुद्धि विकसित होती है।
- इस आसन से दमा रोग ठीक होता है।
- इस आसन को करने से नस-नाड़ियां स्वस्थ हो, सुचारु रूप से कार्य करने लगती हैं।
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शशांकासन की विधि | Shashankasana Steps
इस आसन को करने के लिये सर्वप्रथम भूमि पर आसन बिछायें।
फिर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जायें। गहरी-गहरी सांस लें और दोनों हाथों की बांह ऊपर करके ऊपर की ओर तानें। दोनों हाथों की हथेलियां खुली हुई और सामने की ओर होनी चाहियें।
अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए कमर से झुकें, हथलियों को बांहें तानते हुए जमीन पर लगायें। फिर माथे को जमीन से सटायें। साथ ही इस आसन में त्राटक बिन्दु विकसित करने, चिन्तन करने, किसी समस्या को सुलझाने के लिये ध्यान लगाया जा सकता है।
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विशेष
इस आसन में दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर दोनों हाथों को आगे की और फैलाकर सिर को घुटनों से सटाया जाता है। इस आसन के लिये जल्दबाजी न करे।
शशांकासन करने का समय
इस आसन को 3 या 4 बार करें।
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शशांकासन की सावधानी | Shashankasana Precautions
- जिनको पीठ दर्द की समस्या हो उनको यह आसन नहीं करना चाहिए।
- स्लिप डिस्क की प्रॉब्लम हो उन्हें भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
- उच्च BP वाले लोग भी ये आसन न करें।
- जिन लोगो को पेट और सिर की बीमारी हो तो उन्हें इस आसन से बचना चाहिए।
- चक्कर आने पर ये आसन न करें।
- जिनको हर्निया रोग से पीड़ित हो वो भी बचे।
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