संकटासन क्या है? | Sankatasana
इस आसन को करने पर एक जंघा पर जबर्दस्त जोर पड़ता है व शरीर का संतुलन बनाना कठिन होता है, अतः इसे संकटासन कहते हैं।
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संकटासन करने की विधि | Sankatasana Steps
इस आसन को करने के लिए भूमि पर सीधे खड़े हो जाएं। सिर, गर्दन तथा रीढ़ को एकदम सीध में रखें। अब बायें पांव को सीधा रखते हुए दायें पांव को उस पर लता की भांति लपेट दें।
फिर बायें पांव के घुटने को धीरे-धीरे मोड़ते हुए तथा सम्पूर्ण शरीर का भार उस पर डालते हुए इस प्रकार बैठें जैसे कि कुर्सी पर बैठा जाता है। अब दोनों बांहों को सामने की ओर सीधा फैला दें तथा हथेलियों को परस्पर नमस्कार की मुद्रा में मिला दें।
दूसरी बार इस क्रिया को दूसरे पांव, से करें।
दूसरे पांव से करने के बाद संकटासन का एक चक्र पूरा हो जाता है। इस चक्र को पूरा करने के बाद आप पुन्रः आराम की मुद्रा में लौट आएं।
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विशेष
इस आसन को करने पर पैरों पर सन्तुलन बनाए रखना आवश्यक होता है। आसन सरल है, मगर बगैर अभ्यास के प्रथम प्रयास में पूर्ण आसन को नहीं अपनाया जा सकता। अतः आसन अभ्यास आरम्भ कर सन्तुलन बनाने का अभ्यास करें। पुरुष-महिलायें सभी इस आसन को कर सकते हैं।
संकटासन करने का समय
एक-एक पैर से पांच-पांच आसन करें; अर्थात् कुल दस बार। एक बार करने के बाद बीच में पांच सेकेण्ड का विश्राम ले सकते हैं।
संकटासन का फायदा या लाभ | Sankatasana Benefits
- इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी, टांगें तथा बांहों की मांसपेशियां सशक्त होती हैं।
- यह आसन पांवों की थकाबट को दूर करता है तथा नितम्बों की चर्बी को कम करता है।
- इस आसन को करने से पीठदर्द, पथरी तथा हर्निया रोग से रक्षा होती है।
- इस आसन से टांगें तथा बाहँ पुष्ट होती हैं।
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