पादहस्तासन क्या है? | What is Padahastasana?
पादहस्तासन एक संस्कृत भाषा का शब्द है। इस आसन में पैर को हाथों से छुआ जाता है, अतः यह पादहस्तासन (Padahastasana) कहलाता है। यह आसन हठयोग की शैली में आता है।
इस आसन से हमारे शरीर को बहुत सारे गजब के फायदे होते है। इस आसन में ध्यान देने की बात है की आपका सिर दिल के निचे होना चाहिए। इससे रक्त का प्रवाह पांवो के बजाय सिर के तरह होगा जो अच्छा है। इसलिए ये आसन थोड़ा कठिन है।
इससे मानसिकता भी मजबूत होती है और ऑक्सीजन और रक्त की अच्छी मात्रा मष्तिक में पहुँचती है। शरीर में फुर्ती भी आती है। इस आसन को 15 से 30 सेकेंड की अवधि तक करना चाहिए।
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पादहस्तासन के लाभ | Padahastasana Benefits
इसे अभ्यास से रीढ़, गर्दन, पसली, कमर तथा पांव की हड्डियां निर्दोष होती हैं तथा मांसपेशियां सुदृढ़ होती हैं।
इस आसन से रक्त प्रवाह शुद्ध होता है। पेट भीतर को धंसकर छाती पुष्ट होती है तथा आगे बढ़ती है। कमर पतली तथा नितम्ब पुष्ट होते हैं।
इस आसन से मस्तिष्क शक्ति तीव्र होती है। जिगर, तिल्ली, गुर्दे, मसाने आदि अपना कार्य सुचारू रूप से करते हैं। शरीर चुस्त तथा फुर्तीला बनता है।
इसके अभ्यास को नित्य करते रहने से रीढ़, गर्दन, हाथ-पांव, कमर तथा टांगों से सम्बन्धित बीमारियां नहीं होतीं।
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पादहस्तासन की विधि | Padahastasana Steps
इस आसन के करने के लिये सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों को परस्पर सटा लें।
अब दोनों हाथों को अधिकाधिक ऊपर ले जाएं। हाथों के पंजे खुले रहें परन्तु अंगुलियां परस्पर सटी रहनी चाहिएं। हथेलियां सामने की ओर रहें।
अब श्वास को बाहर छोड़ते हुए हाथों सहित कमर के ऊपरी भाग को धीरे-धीरे सामने की ओर झुकाएं तथा दोनों हाथों से दोनों पांवों के अंगूठों को पकड़ने का प्रयल करें, परन्तु ऐसा करते समय घुटने मुडने नहीं चाहिएं।
फिर श्वास को भीतर खींचते हुए धीरे-धीरे ऊपर आ जाएं। इस क्रम को दस बार दोहराएं।
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पादहस्तासन करते समय ध्यान रखें योग्य बातें
इस आसन से पुरुषों को जितना लाभ होता है स्त्रियों को भी उतना ही लाभ होता है। गर्भवती स्त्रियां इस आसन को न करें।
पेट की चर्बी घटाने के लिए स्त्रियां इस आसन को अवश्य करें। इससे पेट का मोटापा घटता है तथा कमर पतली होती है।
नितम्ब सुडौल बनते हैं। आरम्भ में जितना झुका जा सकता है उतना ही झुकें। बाद में अंगूठा छू जाएगा।
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पादहस्तासन करने का समय | Timing of Padahastasana
आसन की अवस्था अपनाने के बाद श्वास खींचे रहने के समय तक अंगूठा छुए रखें। इस आसन को आरम्भ में 5 बार से आरम्भ करके 10 बार तक बढ़ायें।
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