कोण संतुलनासन क्या है? | What is Kona Santulana Asana ?
इस आसन में हाथ-पैरों की सहायता से कोण बनाते हुए, शरीर का सन्तुलन बनाते हैं, इसके कारण यह कोण संतुलनासन कहलाता है।
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कोण संतुलनासन के लाभ | Kona Santulanasana Benefits
यह आसन जांघ तथा भुजाओं को पुष्ट बनाने के अतिरिक्त आभ्यान्तरिक प्रजनन अंगों के विकारों को दूर करता है तथा पुरुषत्व शक्ति को बढ़ाता है|
इस आसन से कामशक्ति बढ़ती है अगर इच्छाशक्ति पर नियंत्रण रहता है।
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कोण संतुलनासन की विधि | Kona Santulanasana Steps
इस आसन को करने के लिये घुटनों को झुकाकर सीधे बैठें। फिर दोनों पांवों के तलुओं को परस्पर मिला लें तथा दोनों हाथों की तर्जनी तथा मध्यमा अंगुली के पंजों को ऊपर फैलाकर गहरी सांस लें।
फिर श्वास को छोड़ते हुए पांवों को फर्श से ऊपर उठाएं तथा बहुत धीरे-धीरे उन्हें बगलों में फैलाते घुटनों तथा कोहनियों को सीधा कर लें। शरीर को झुकाएं नहीं, वह शरीर को निम्नानुसार सन्तुलित बना रहना चाहिए।
उक्त स्थिति में 10 सेकेण्ड तक रहें और गहरी सांस लेकर फिर पंजों को पकड़े हुए शरीर को थोड़ा-सा पीछे की ओर झटका दें।
उक्त अभ्यास को एक से दूसरी स्थिति में बदलते हुए 5-7 बार दोहराना चाहिए। अभ्यास की स्थिति में हाथों से पंजों को छूटने नहीं चाहिएं।
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विशेष
आरम्भ में इस अभ्यास में कठिनाई होती है, क्योंकि जैसे ही बैठने की स्थिति में आयेंगे, पीछे की ओर फर्श पर लुढ़क जाया करेंगे तथा कोण स्थिति में आने की चेष्टा करते समय भी पुनः लुढ़क सकते हैं। अतः सन्तुलन बनायें रखने के लिए फर्श पर अथवा अन्यत्र कहीं एक बिन्दु निश्चित कर लेनी चाहिए तथा दृढ़तापूर्वक उसी को टकटकी लगाकर देखते हुए अन्य क्रियाएं करें। इससे शीघ्र सहायता मिलेगी।
कोण संतुलनासन करने का समय | Timing of Kona Santulana Asana
इस आसन में आने के बाद 1 से 10 सेकेण्ड तक रहें। आसन को दो-तीन बार दोहरा सकते हैं।
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