हनुमान आसन क्या है? | What is Hanuman Asana ?
पवनपुत्र हनुमान के समर्पण भाव, चपलता और वायु में भी तैर जाने की क्षमता का ध्यान में रखकर, उन स्थितियों के समावेश में इसे “हनुमान आसन” कहा जाता है।
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हनुमान आसन के लाभ | Hanuman Asana Benefits
- वस्ति प्रदेश (पेल्विक बोनस) की अस्थियां लचीली और सुदृढ़ बनती हैं।
- दौड़ने वाले खिलाड़ियों के लिये यह आसन चमत्कार का काम करता है।
- इस आसन को करने से महिलाओं का प्रसव बहुत आसान एवं निरापद हो जाता है।
- चपलता, गतिशीलता और भारहीनता लाने में यह आसन आवश्यक है।
- टांगों में होने वाले ‘सायटिका दर्द” से हमेशा के लिये छुटकारा मिल जाता है।
- यह आसन कुंवारी लड़कियों के शरीर-सन्तुलन का अद्भुत आसन हैं।
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हनुमान आसन की विधि | Hanuman Asana Steps
भूमि पर बैठने के पूर्व ही बायें पैर का घुटना और पंजा पीठ की ओर भूमि पर टिका दीजिये। अब आजु बाजू हाथों को भूमि पर टिकाकर सहारा लेते हुए दाहिना पैर, बायें पैर की सीध में आगे की ओर सरकाते जाइये। चित्र देखने में जितना सरल और सीधा यह आसन प्रतीत होता है, उतना आसान वास्तव में नहीं है।
अतः बिना जोर-जबरदस्ती के थोड़ी-थोड़ी सीमा बढ़ाते हुए कई दिनों तक इसकी साधना जारी रखनी चाहिये। सहायता की भी आवश्यकता हो सकती है।
लगातार साधना से पर्याप्त लचीलापन आ जाने पर ही अपने दोनों पैरों को शरीर के आगे और पीछे बिल्कुल सीध एवं सरल रेखा में आ जाने पर नितम्ब भूमि पर टिकने लगते हैं।
जब यह स्थिति प्राप्त हो जाती है, तब हाथों का सहारा लेना छोड़कर दोनों हथेलियां छाती के सामने नमस्कार की मुद्रा में जोड़ लें। यही सम्पूर्ण स्थिति होगी।
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विशेष
दोनों टांगें चित्रानुसार, इस प्रकार फैलायें कि मूलाधार जमीन से मिला कर टांगों को सावधानीपूर्वक फैलाना चाहिये। यह क्रिया धीरे-धीरे करनी चाहिये।
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