हंसासन क्या है? | What is Hansasana?
इस आसन में अभ्यास के समय व्यक्ति को दोनों हथेलियों पर पूरे शरीर का संतुलन बनाए रखना होता है। व्यक्ति के शरीर की स्थिति हंस के समान हो जाती है, अतः इस आसन को “हंसासन’ कहते हैं।
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हंसासन के लाभ | Hansasana Benefits
- इससे मेरुदण्ड को मजबूती मिलती है व बुढ़ापा देर से आता है।
- पेट रोगों से मुक्ति, अफारा, गैस विकार दूर रहता है।
- पौरुष गन्थियों को लाभ तथा है शुक्राणुओं में वृद्धि होती है।
- कंधों और गले में खिंचाव होने से रोगों में कमी होती है।
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हंसासन की विधि | Hansasana Steps
सर्वप्रथम पेट के बल जमीन पर लेट जायें और दोनों पैरों को एक-दूसरे से सटाकर एकदम सींधा रखें।
अब दोनों हाथों को पीछे कमर(नितम्ब) पर ले जायें और दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें।
फिर बिना हाथों की सहायता से पूरे धड़ को पेडू पर उसी प्रकार उठाना है, जैसे भुजंगासन में उठाया था, फिर श्वास को भीतर खींचें और धड़ व गर्दन नीचे ले जाने पर श्वास बाहर निकाल देनी चाहिये।
इस प्रकार इस क्रिया को करने के बाद कुछ देर विश्राम करें, फिर इस क्रिया को 2-3 बार दुहरायें।
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विशेष
इस आसन में पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को कमर पर पीछे बांधते हुए यह आसन थोड़ा कठिन है, अतः इस आसन को निरन्तर अभ्यास करना आवश्यक है।
इस आसन में शरीर को तना हुआ रखते हैं।
इस आसन को करते समय सिर पूर्व दिशा की ओर रहना चाहिये। धड़ को धीरे-धीर ऊपर उठाया जाता है।
इस आसन में हाथों को मोड़ते समय सावधानी रखनी चाहिये।
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