गोदुहासन क्या है?
गाय दुहने के समय की शारीरिक स्थति का अध्ययन करने के न इस आसन की रचना किये जाने के कारण ही इसका नाम “गोदुहासन” रखा गया है।
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गोदुहासन के लाभ
- पैरों की मांसंपेशियां,अस्थियां व अस्थिवन्धन मजबूत व स्वस्थ होते हैं।
- पैरों के सन्धिवात के लिये लाभकारी आसन है।
- कमरदर्द दूर कर, कमर का सन्तुलन बनाये रखने के लिये उत्तम आसन है।
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गोदुहासन करने का तरीका
घुटने मोड़कर इस प्रकार बैठिये कि मुड़े हुए घुटने छाती के पास आते हों। अब पैरों के पंजों पर शरीर को सन्तुलित करते हुए घुटने तनिक आगे को झुकाते हुए थोड़ा फैला लीजिये और एड़ियों को भूमि से उठाकर नितम्बों को सहारा दीजिये।
इस स्थिति में रहते हुए ही दोनों हाथों को अर्ड्धबन्द कर टूठी की तरह बांधकर तथा कोहनी के पृष्ठभाग को जमीन के समान्तर आगे बढ़ा, बारी-बारी से एक मुट्ठी में कसाव व दूसरी में शिथिलता लाइये। दो-तीन मिनट तक इस क्रिया को कीजिये।
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विशेष
चित्रानुसार, दोनों पंजों को खड़ाकर एड़ियों पर नितम्ब रखकर तथा दोनों जांघों पर दोनों कोहनियों को खड़ा कर दूध दुहने की स्थिति बनाये। यह बहुत सरल आसन है, इसलिये सावधानी की आवश्यकता नहीं पड़ती।
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