एक पादासन क्या है? | What is Eka Padasana
इसमें एक पांव पर शरीर का भार डालकर आसन मुद्रा अपनायी जाती है। अतः इसे एकपादासन कहते हैं।
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एक पादासन के लाभ | Eka Padasana Benefits
यह आसन प्रातः व शाम दोनों समय किया जा सकता है। यह शरीर में स्फूर्ति एवं सहिष्णुता की वृद्धि करता है तथा नाड़ियों का नियंत्रण स्थापित करता है।
इस आसन के अभ्यास का शरीर के नाड़ी मण्डल पर सौम्य तथा श्रेष्ठ प्रभाव पड़ता है।
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एक पादासन की विधि | Eka Padasana Steps
इस आसन के लिए स्थित प्रार्थनासन की अवस्था में खड़े हो जाएं। तत्पश्चातू अपने हाथों की सहायता से नीचे झुकने के बाद अपने एक पांव को इतना ऊंचा उठाएं कि उसकी एड़ी दूसरे पांव की जांघ पर जा लगे।
इस स्थिति में सन्तुलन बनाए रखते हुए; अर्थात् एक पांव पर खड़े रहते हुए दोनों जुड़े हुए हाथों को ठोड़ी के नीचे लगाएं।
जब तक पांव पर खड़े रहनें में सफलता मिल जाए तब दूसरे पांव से भी यही क्रिया करें। इसमें शरीर को एकदम सीधा रखना चाहिए।
आरम्भ में इस-स्थिति में अधिक समय तक खड़े रहना सम्भव नहीं होगा, परन्तु निरन्तर अभ्यास से सफलता मिलेगी। तब इस स्थिति में भी तीन मिनट तक खड़े रहे।
आरम्भ में यदि गिरने का भय हो तो इस अभ्यास को किसी दीवार आदि का सहारा लेकर किया जा सकता है। आसन की स्थिति में सामान्य रूप से श्वास लें। फिर आसन से पूर्व -की स्थिति में आ जाएं।
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विशेष
यह आसन सरल होते हुए भी थोड़ा अभ्यास मांगता है, अतः कुछ दिन के अभ्यास के बाद सरल हो जाता है। स्त्री-पुरुष के लिए एकसमान उपयोगी । स्त्री चार माह के गर्भ के बाद इस आसन को न करें क्योंकि पेट पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।
एक पादासन करने का समय | Timing of Eka Padasana
आसन मुद्रा में एक से तीन मिनट तक रहें। फिर पैर बदलकर आसन करें। कुल छः बार क्रमवार करना काफी है।