द्वि पाद शीर्षासन क्या है? | What is Dwi Pada Sirsasana?
इस आसन में साधक अपने दोनों पैरों को उठाते हुए, सिर के पीछे गले के पृष्ठ भाग पर रखता है। इसे ‘द्वि पाद शीर्षासन’ कहते हैं।
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द्वि पाद शीर्षासन के लाभ | Dwi Pada Sirsasana Benefits
- इसमें पैर और जांघ आदि स्थानों की नस-नाड़ी की निर्मलता होती है।
- इससे दोनों पैरों की नसों पर विशेष खिंचाव होता है।
- इससे पैरों की मांसपेशियां स्वस्थ, सबल तथा सशक्त बनायी जा सकती हैं।
- उदरशूल या पेट सम्बन्धी विकारों में भी लाभ होता है।
- बवासीर तथा गुदा, भगन्दर आदि में भी लाभ पहुंचता है।
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द्वि पाद शीर्षासन की विधि | Dwi Pada Sirsasana Steps
सर्वप्रथम आप पालथी लगाकर जमीन पर बैठें और पैरों को ढीला छोड़ दें।
अपने दोनों हाथों के सहारे से उठाकर धीरे-धीरे गर्दन तक ले जायें, पृष्ठ भाग पर टिका दें।
अपने शरीर का सम्पूर्ण भार नितम्बों पर रहने दें और दोनों हाथों की हथेलियां मिलाकर नमस्कार की मुद्रा बना के सीने के पास ले आयें।
दिए गए चित्र के अनुसार विधि सरलतापूर्वक समझ में आ जायेगी।
इसी स्थिति में कुछ समय रुके रहने के पश्चात् धीरे-धीरे पूर्व स्थिति में आकर विश्वाम करें! फिर कुछ क्षण के बाद क्रिया को दोबारा दोहरायें।
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विशेष
इस आसन में पालथी लगायें, फिर दोनों पैरों को उठाते हुए हाथों के सहारे से गर्दन के पीछे रख दें ।
हाथों की हथेलियों को प्रणाम अवस्था में मिला लें तथा सीने के पास ले जायें।
यह आसन महिलाओं के लिये वर्जित है।
आसन करते समय आपके पैर आपस में स्पर्श क्रॉस हों।
आपके हाथों की स्थिति प्रणाम मुद्रा में सीने के पास रहे।
द्वि पाद शीर्षासन करने को समय | Time duration of Dwi Pada Sirsasana
इस आसन को आप प्रतिदिन दो या तीन बार कर सकते हैं।
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