धनुराकर्षण आसन का अर्थ | Meaning of Dhanurvakrasana
यह आसन धनुरासन के समान होता है। धनुष की कमान को पकड़कर जब खींचा जाता है, तब उसमें एक तनाव का बल कार्य करता है। इस आसन में शरीर की मुद्रा को खींचते हुए धनुष की आकृति में लाया जाता है, इसलिये इसे “’धनुराकर्षण” आसन कहते हैं।
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धनुराकर्षण आसन मुद्रा | Dhanurvakrasana in hindi
इस आसन के सामने की ओर पैरों को फैलाइये तथा बायें हाथ के अंगूठे और उसके साथ वाली उंगली से दायें पैर के अंगूठे को पकड़ा जाता है, धनुष के समान मुद्रा बनायी जाती है।
धनुराकर्षण आसन की सावधानी | Precautions Dhanurvakrasana in hindi
इस आसन को प्रातःकाल पूर्व दिशा की ओर मुंह करके तथा सायंकाल में पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करना चाहिये।
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धनुराकर्षण आसन करने का समय | Timing of Dhanurvakrasana
इस आसन को प्रारम्भ में एक बार, फिर पांच बार तक करें। दोनों ओर से इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं।
धनुराकर्षण के लाभ | Benefits of Dhanurvakrasana
- यह आसन कुर्सी पर बैठकर कार्य करने वालों के लिये अधिक उपयोगी है।
- यह आसन वात रोग, हाथ-पैरों के जोड़ों का दर्द, गठिया, लकवा आदि रोगों के लिये रामबाण है। पेट के रोग और यकृत के रोग में भी लाभ पहुंचता है।
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धनुराकर्षण की विधि | Steps of Dhanurvakrasana
आसन के लिए बैठ जाएं। पैर फैला लें। दाएं पैर के अंगूठे को बाएं हाथ के अंगूठे व अंगुली से पकड़ें।
अब बायीं टांग को घुटनो से मोड़कर इसकी एड़ी को दायीं जांघ पर रखें।
अब अपने दायें हाथ के अंगूठे और साथ वाली उंगली के द्वारा पैर का अंगूठा पकड़िये और पैर को ऊपर उठांयें। शनैः-शनैः उसे उठाते हुए कान से स्पर्श करायें।
बायें हाथ से दायें पैर कें अंगूठे को पकड़कर खींचिये। पूरक सांस लेते हुए कुम्भक कीजिये।
इस स्थिति में जितनी देर आप आसानी से रह सकते हैं, रहें! फिर पूर्व स्थिति में आ जायें। कुछ समय विश्राम के पश्चात् पैरों व हाथों को बदलकर आसन को दुहरायें।
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