चतुष्कोणासन | Chatushkonasana

चतुष्कोणासन क्या है? | What is Chatushkonasana ?

इस आसन में साधक का शरीर रेखागणित के चतुष्कोण की के समान प्रतीत होती है, इसलिये इसे चतुष्कोणासन कहा जाता है।

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चतुष्कोणासन के रोग निदान और लाभ | Chatushkonasana Benefits

इससे पैर के स्नाथु ठीक हो जाते हैं तथा हाथ और गले में स्नायुओं को भी अच्छा खिंचाव होने के कारण निर्मलता प्राप्त होती है।

इससे हाथ-पैरों की मांसपेशियां सबल तथा सशक्त होती हैं।

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चतुष्कोणासन की विधि | Chatushkonasana Steps

Chatushkonasana Steps

सर्वप्रथम आप जमीन पर आसन बिछाकर अपने दायें पैर को वज्रासन की मुद्रा में मोड़कर बैठें और बायें पैर के पंजे को बायें हाथ की डेऊनी में धरकर ऊपर उठाइये |

सिर के पीछे से दायें हाथ से बायें हाथ की उंगलियां आपस में मिलाकर पैर को सिर के बल ऊपर की ओर उठाने से चतुष्कोणासन बनता है।

इसी स्थिति में कुछ समय रुके रहने के पश्चात्‌ पूर्व स्थिति में लौट आयें और शरीर को विश्राम करायें। कुछ क्षण विश्राम के पश्चात्‌ यह क्रिया दूसरी ओर से दोहराये।

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चतुष्कोणासन में सावधानी  | Chatushkonasana Precautions

  • इस आसन में वज्रासन की मुद्रा में अपने दाहिने पैर को मोड़कर बैठ जाइये। (उपर्युक्त चित्र के अनुसार) मुद्रा आसानी से समझ सकते हैं।
  • इस आसन को करते समथ ध्यान रहे, आपकी पीठ बिल्कुल सीधी रहे। इसमें दृष्टि सामने की ओर रहनी चाहिये।
  • जिस पैर पर बैठे हैं वह पैर वज्रासन की मुद्रा में रहे।

चतुष्कोणासन करने का समय

इस आसन को आप रोजना दो या तीन बार कर सकते हैं, पृथक-पृथक्‌ पैर से |

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