चतुरंग दंडासन क्या है? | What is Chaturanga Dandasana?
चतुरंग दंडासन तीन शब्दों से मिलकर बना है पहला “चतुर” का मतलब है “चार”, दूसरा शब्द “अंग” और तीसरा शब्द “डंडा” जिसका मतलब “कर्मचारी” है। इस आसन में शरीर की स्थिति देशी व्यायाम दण्ड करने के समान होती है, इसलिए इसे चतुरंग दंडासन कहते हैं। इसका इंग्लिश नाम Four-Limbed Staff Pose है।
चतुरंग दंडासन के लाभ | Chaturanga Dandasana Benefits
इस आसन के अभ्यास से भुजाओं, कंधों तथा वक्ष की मजबूती होती है। पांव तथा पंजे सुदृढ़ होते हैं।
इस आसन से १वास लेने की शक्ति में वृद्धि होती है। इससे शरीर के सभी अंग पुष्ट होते हैं।
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चतुरंग दंडासन की विधि | Chaturanga Dandasana Steps
पेट के बल भूमि पर लेटकर, पांवों को पीछे की ओर फैला दें। अब भुजाओ को भीतर की और ले जाएं, हथेलियां कंधों के नीचे रहें, धीरे-धीरे श्वास लेकर उसे पेट में रोकें, फिर सम्पूर्ण शरीर को कड़ा कर सम्पूर्ण शरीर को पंजों पर साधे।
दोनों बांहों के सहारे शरीर को तब तक उठाएं जब तक बांहें बिल्कुल सीधी न हो जाएं। अब सिर से पांव तक शरीर के प्रत्येक भाग को लकड़ी के तख्ते के समान सीधा रखें ।
फिर नीचे झुकते हुए बांहों को कोहनियों पर से मोड़ें। इसी प्रकार शरीर को कई बार नीचा-ऊंचा करें । शरीर को झुकाते तथा उठाते समय छाती को भूमि से स्पर्श नहीं होना चाहिए।
अंत में श्वास छोड़कर विश्राम करें। सामान्य भाषा में इसे दण्ड लगाना भी कहा जाता है। इसकी पुनरावृत्ति चाहे जितनी बार भी की जा सकती है।
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विशेष
पहलवान लोग अखाड़े में इस क्रिया का विशेष रूप से प्रयोग करते हैं। इस आसन का एक उपभेद भी है जिसमें शरीर को कमर से तब तक ऊंचा उठाया जाता है जब तक फर्श के साथ शरीर का रूप त्रिभुज-सा न बन जाए।
चतुरंग दंडासन करने का समय | Timing of Chaturanga Dandasana
इसे प्रातःकाल खाली पेट करना चाहिए। आसन मुद्रा अपनाकर आप 5 से 50 बार, जितना चाहें कर सकते हैं। इस आसन के बाद विश्राम करना आवश्यक है, तब दूसरा आसन अपनायें।
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