चातक आसन | Chatak Asana

चातक आसन क्या है? | Chatak Asana

‘चातक’ वह पक्षी है जो चाँद निकलने पर आकाश में usi की तरफ देखता रहता है। इसलिये उसकी प्रकृति बहुत ही शीतल है। चातक पक्षी की इसी भंगिमा के अध्ययन से इस आसन को ‘चातक आसान’ की संज्ञा दी गयी है।

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चातक आसन के रोग निदान और लाभ

  • इस आसन से स्वभाव और वाणी में शीतलता तथा मधुरता का विकास होता है।
  • ब्रह्मचर्य-साधना तथा त्राटक अभ्यास के लिये यह सर्वोत्तम आसन है।
  • फेफड़ों में अधिक श्वास भरने की क्षमता के साथ ही छाती की मांसपेशियां सुडौल बनती है।
  • आंतों की दुर्बलता दूर होकर पाचक सरसों में वृद्धि होती है।
  • मेरुदण्ड लचीला बनता है। पीठ, कमर और पैरों की मांसपेशियां सशक्त होती हैं।
  • अस्थियों में रक्त तथा मांस-मज्जा निर्माण की क्षमता बढ़ती है।

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चातक आसन की विधि

सबसे पहले दोनों पैर फैलाकर बैठिये। बायां पैर घुटने से मोड़ते हुए इसकी हड्डी को मलद्वार और मूत्रद्वार के बीच की सीवन के साथ जमा दीजिये।

अब दाहिने पैर को शरीर के दाहिनी ओर ही इस प्रकार फैलाइये कि घ्रुटना और पैर के पंजे का ऊपरी भाग भूमि को छूता रहे। दोनों हाथों को जमीन के समान्तर इस प्रकार फैलाइये कि दोनों हथेलियां भूमि की ओर रहें। गर्दन को पीछे की ओर इस प्रकार शाह कि वह दाहिने कन्धे पर लगभग टिक जाये। अब आकाशोन्मुख होकर ऊपर के किसी निश्चित बिन्दु पर दृष्टि जमाकर त्राटक कीजिये।

चातक आसन की पूर्ण स्थिति पर पहुंचने के बाद गहरी सांस भरते हुए पेट और छाती को पूरी तरह फुला लें। यथाशक्ति और समय तक सांस अन्दर ही रोक रहें। जब श्वास बाहर छोड़ना हो तब होठों को गोल करके पिऊं ध्वनि के साथ ही छोड़ें।

विशेष

चित्रानुसार, पहले दोनों पैरों को फैलाकर बैठ जाइये और हाथों को इस प्रकार फैलायें जिस प्रकार आकाश में पक्षी उड़ रहा हो।

  • दोनों हाथों की स्थिति बिल्कुल सीधी हो।
  • हाथ के पंजों को पृथ्वी की ओर रखना चाहिये। |
  • पैर की एड़ी को मूलाधार पर दबाव के साथ रखें।

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