ब्रह्मांजलि आसन करने की विधि और लाभ जानिए

ब्रह्मांजलि आसन क्या है? | Brahmanjali asana

इस आसन में त्राटक बिन्दुओं को केन्द्रित करने का अभ्यास किया जाता है, इसलिये इसे ‘ब्रह्मांजलि आसन” कहते हैं।

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ब्रह्मांजलि आसन के रोग निदान और लाभ | Brahmanjali Asana Benefits

  • यही आसन एकमात्र ऐसा आसन है, जिसे विभिन्‍न आसमनों में प्रयोग किया जाता है।
  • इससे शरीर के और चक्र का हथेलियों में मिलाप होता है और यह गति मस्तिष्क को प्राप्त होती है।

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ब्रह्मांजलि आसन करने की विधि | Brahmanjali Asana Steps

सर्वप्रथम जमीन पर दरी या चादर बिछाकर सिद्धासन की अवस्था में बैठ जाइये | अपने बायें हाथ की हथेली को एड़ी के ऊपर इस प्रकार रखें कि वह नाभि से नीचे की ओर रहे और अपने दायें हाथ की हथेली को उठाकर बायें हाथ की हथेली के ऊपर रखें।

कुछ समय इसी स्थिति में रुके रहने के पश्चात्‌ पूर्व स्थिति में आकर शरीर को विश्राम करायें तथा कूछ समय विश्राम के पश्चात फिर दोबारा क्रिया आरम्भ करें।

विशेष

दायीं हथेली को बायीं हथेली पर रखकर नाभि के नीचे आसनबद्ध एड़ियों पर रखने से ब्रह्मांजलि बनती है। इस आसन में हाथों की हथेलियों एवं बांहों को ढीला रखें। उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके आसन न लगायें।

ब्रह्मांजलि आसन करने का समय

इस आसन को रोजाना एक या दो बार कर सकते हैं।

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