दूसरे आसनों की तरह भूमि पाद मस्तकासन का नाम संस्कृत से मिलता है इसमें “भूमि” का अर्थ है “पृथ्वी”, “पाद” का अर्थ है “पैर”, “मस्तक” का अर्थ है “सिर” और “आसन” का अर्थ है “मुद्रा या योग”।
ये भी पढ़े:- हस्तपादासन | Hastapadasana in Hindi | Benefits
भूमिपाद मस्तकासन की विधि | Bhumi Pada Mastakasana Steps
जमीन पर पेट के बल लेटकर नितम्ब भाग को धीरे-धीरे ऊपर उठायें और हाथों को नितम्बों के सहारे रखकर सिर और पांवों के बल खड़े हो जायें।
इस आसन को पूर्णता देने के लिये पेट के बल लेटकर, घुटनों को उदर के नीचे तक लाकर, धीरे-धीरे नितम्ब भाग को ऊपर उठाना होता है।
Note:-
मुद्रा में आने पर सामान्य रूप से सांस लें
शुरुआत में 3 बार तक अभ्यास करें, धीरे-धीरे आसन को बढ़ाएं।
ये भी पढ़े:- एक हस्त भुजासन या एक पाद भुजासन
भूमिपाद मस्तकासन के लाभ | Bhumi Pada Mastakasana Benefits
इससे मस्तिष्क के अनेक विकार दूर होकर बल मिलता है तथा पांवों को भी अत्यन्त दृढ़ता प्राप्त होती है।
इससे गर्दन और कन्धे मजबूत होते हैं।
ये भी पढ़े:-तुलासन योग विधि, लाभ और सावधानी
भूमिपाद मस्तकासन में सावधानी | Bhumi Pada Mastakasana precautions
जिन व्यक्ति को उच्च रक्तचाप या चक्कर आते हो उन्हें ये आसन नहीं करना चाहिए।
अगर आपको किसी प्रकार की मष्तिस्क से जुडी किसी प्रकार की समस्या होने पर ये आसन नहीं करे।
जिनकी आँखे कमजोर हो उनको भी इस आसन से बचना चाहिए।
ये भी पढ़े