अंजनेयासन क्या है? | What is Anjaneyasana ?
यह चक्रासन या अर्द्धचन्द्रासन का ही एक रूप है। इसे “अंजनेयासन’ कहते हैं।
और ये भी पढ़े:- वकासन की विधि, लाभ और सावधानी | Vakasana
अंजनेयासन का लाभ | Anjaneyasana Benefits
यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीली बनाता है। इसमें मजबूती आती है।
प्रत्येक अंग की चर्बी समाप्त होती है तथा पेट सुडौल होता है।
कमर लचीली एवं सुडौल बनती है तथा हृदय, फेफड़े और छाती सबल होते है।
और ये भी पढ़े:- पर्वतासन की विधि,लाभ और सावधानी
अंजनेयासन की विधि | Anjaneyasana Steps
सर्वप्रथम आप जमीन पर आसन बिछाकर उकड़ूं बैठ जायें। अब अपना दायां पैर पीछे की ओर मोड़ते हुए तानें। जितना सम्भव हो तानें।
फिर अपने दोंनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में जोड़कर बांहों को ऊपर उठाकर तानें। रेचक करके कुंभक लगायें।
अब कमर से मोड़ते हुए पीछे की ओर झुकें । सिर जमीन की ओर जितना मुड़ सकते हैं, मुड़ें। जितनी देर आसानी से इस आसन में रह सकते हैं, रहें।
तत्यश्चात् पूरक करते हुए पहले कमर से सीधा हो जायें। हाथों से भूमि को पकड़कर टांगों को खींचें।
फिर पूर्व स्थिति में आकर विश्राम करें, कुछ देर विश्राम के पश्चात् पैरों की मुद्रा बदलकर इस आसन विधि द्वारा दुहरायें। कमर एवं रीढ़ के जोड़ से ऊपर की ओर ऊर्जा खींचने का ध्यान लगायें।
और ये भी पढ़े:- गुप्तासन योग कैसे करे
विशेष
इस आसन को करने के लिये पहलू उकड़ूं बैठा जाता है, हाथों को पीछे की ओर मोड़ते हुए चक्रासन के समान मुद्रा बनायी जाती है।
यह आसन करते समय शरीर के अंगों का संचालन शनैः-शनेः करें! इस आसन को करते समय रीढ़ की हडूडी पर झटका नहीं लगना चाहिये, इस बात का विशेष ध्यान रहे।
यह आसन लगाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिये।
अंजनेयासन करने का समय | Timing of Anjaneyasana
यह आसन आप रोजानां दो-तीन बार दोनों ओर से कर सकते हैं।
और ये भी पढ़े