Health tips 1. तांबे के बर्तन का पानी पीयें
तांबे में बैक्टीरिया-नाशक गुण पाए जाते है और इन गुणों में मेडिकल साईंस भी रुचि ले रहा है। पिछले कुछ वर्षों में वैज्ञानिकों ने कई प्रयोग किये और यह मालूम किया है कि पानी की अपनी याददाश्त होती है। इसलिए यह हर उस चीज को याद रखता है जिसको यह छूता है। इस बात पर ध्यान देते हैं कि उसको कैसे बर्तन में रखें।
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अगर आप पानी को तांबे के बर्तन में बहुत देर तक रखें तो यह तांबे के कुछ गुण अपने में समा लेता है। इसलिए ताम्बे के बर्तन में पानी भर कर रखे और पिए।
तांबे के बर्तन में भरा हुआ पानी पूरी तरह से शुद्ध माना जाता है। यह सभी डायरिया, पीलिया, डिसेंट्री और अन्य प्रकार की बीमारियों को पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने की क्षमता रखता हैं। ताम्बे के बर्तन से पानी पिने से आपके लीवर के लिए और आम तौर पर आपकी सेहत और शक्ति-स्फूर्ति के लिए बहुत अच्छा होता है।
Health tips 2. शरीर को नींद नहीं, आराम दें
आप सोने का वक्त क्या है यह आपके लाइफ स्टाइल पर निर्भर करता है, लेकिन ये बात बहुत जरुरी है और महत्त्व रखती कि आपको कितने घंटे की नींद की जरूरत है। अधिकतर कहते है कि दिन में आठ घंटे की नींद लेनी ही चाहिए। इसलिए आपके शरीर को जिस चीज की आवश्यकता है वह आराम है, नींद नहीं है, ।
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कई बार देखा है कि लोग पार्क में टहलते वक्त भी तनाव रखते हैं। ऐसा व्यायाम आपको फायदे की जगह नुकसान ही करेगा, क्योंकि आप हर चीज को इस तरह से ले रहे हैं जैसे कोई जंग लड़ रहे हों। आप हर चीज आराम के साथ क्यों नहीं करते? चाहे टहलना हो या जॉगिंग, उसे पूरी मस्ती और आराम के साथ क्यों नहीं कर सकते?
तो बात वापस वही आता है कि मेरे शरीर को कितनी नींद की जरूरत है? और यह इस बात पर निर्भर है कि आप किस तरह का शारीरिक श्रम करते हैं। आपको ना ही तो भोजन की मात्रा तय करने की जरूरत है और न ही नींद के घंटे। ऐसा कुछ नहीं है की मुझे इतनी कैलरी ही लेनी है, मुझे इतने घंटे की नींद ही लेनी है, जीवन जीने के लिए ये सब बेकार की बातें हैं। यदि आप जो शारीरिक श्रम काम कर रहे हैं, तो आप कम खाएं। अगर आपको ज्यादा काम करना है तो आप ज्यादा खाएं। नींद के साथ भी बिल्क़ुल ऐसा ही है। जिस वक्त आपके शरीर को पूरा आराम मिल जाएगा, यह उठ जाएगा चाहे सुबह के 3 बजे हों या 8। आपका शरीर अलार्म की घंटी बजने पर नहीं उठना चाहिए। आपक शरीर एक बार आराम कर ले तो उसे खुद ही जग जाना चाहिए। ये ही आराम है नींद नहीं।
Health tip 3. दो हफ्ते में एक बार उपवास करें
हमारे शरीर के प्राकृतिक चक्र से जुड़ा ‘मंडल’ नाम की एक चीज होती है। मंडल का मतलब ये है कि हर 40 से 48 दिनों में शरीर एक खास चक्र से गुजरता है।
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हर चक्र में तीन दिन ऐसे जरूर होते हैं जिनमें आपके शरीर को भोजन की आवश्यकता नहीं होती है। यदि आप शरीर के प्रति सजग हो जाएंगे तो आपको खुद को इस बात का अहसास हो जाएगा कि इन दिनों में शरीर को भोजन करने की जरूरत नहीं पड़ती। इनमें से किसी भी एक दिन आप बिना भोजन किये आराम से रह सकते हैं।
11 से 14 दिनों में एक दिन ऐसा भी आता है, जब आपका कुछ भी खाने का मन नहीं करेगा। और उस दिन आपको भोजन नहीं खाना चाहिए। आपको यह जानकार बहुत हैरानी होगी कि जानवरो कुत्ते और बिल्लियों में भी इतनी सजगता होती है। कभी आपने देखा होगा की, किसी खास दिन वे कुछ भी नहीं खाते। दरअसल, ये लोग भी अपने सिस्टम के प्रति वे पूरी तरह सजग होते हैं। जिस दिन सिस्टम कहता है कि आज कुछ भी खाना नहीं चाहिए, वह दिन उनके लिए शरीर की सफाई का दिन बन जाता है और उस दिन वे कुछ भी नहीं खाते। अब आपके भीतर तो इतनी जागरूकता नहीं कि आप उन खास दिनों को पहचान सकें। तो क्या किया की बस इस समस्या के समाधान के लिए अपने यहां एकादशी का दिन तय कर लिया। यदि आप देखे तो हिंदी महीनों के हिसाब से हर 14 दिनों में एक बार एकादशी आती है। इसका मतलब ये ही हुआ कि हर 14 दिनों में आप एक दिन बिना खाए रह सकते हैं।
ध्यान रहे एक बात और, अगर आपको बार-बार चाय और कॉफ़ी पीने के आदत हैं और कभी आपको उपवास रखाना हो तो आपको बहुत ज्यादा दिक्कत होगी। इस समस्या से बचने के लिए और उपवास रखने के लिए सबसे पहले अपने खानपान की आदतों को सुधारें। सबसे पहले सही तरह से खाना खाने की आदत डालें, तब उपवास की सोचें। खाने की इच्छा को आप जबर्दस्ती रोकने की कोशिश करेंगे तो यह आपके शरीर को हानि पहुंचाएगा। यहां एक बात और बहुत महत्वपूर्ण है कि किसी भी हाल में जबर्दस्ती न की जाए।
Health tip 4. पीठ को सीधा रखकर बैठें
आप अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए भी अपनी मांसपेशियों को आराम में रहने की आदत डाल सकते हैं। जब आपकी मांसपेशियां झुकीं हों तो आप अपने अंगों को आराम में नहीं रख सकते।आराम देने के लिए रीढ़ को सीधा रखते हुए हमारे शरीर का ढांचा और स्नायुतंत्र आराम की स्थिति में बने रहें । इसके अलावा और कोई तरीका नहीं।
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शरीर के भीतरी अंगों के आराम में होने का खास महत्व है। इसके कई पहलू हैं। फिलहाल हम इसके सिर्फ एक पहलू पर विचार कर रहे हैं। इन अंगों को सबसे ज्यादा आराम तभी मिल सकता है, जब आप अपनी रीढ़ को सीधा रखकर बैठने की आदत डालें।
आधुनिक विचारों के मुताबिक, आराम का मतलब पीछे टेक लगाकर या झुककर बैठना होता है। लेकिन इस तरह बैठने से शरीर के अंगों को कभी आराम नहीं मिल पाता।
हम खाना खाकर आरामकुर्सी पर बैठ जाते है लेकिन इस स्थति में बैठने पर अंग उतने काम नहीं कर पाते जितना उनको करना चाइये। आजकल काफी यात्राएं आराम कुर्सी में होती हैं। जब हम कार में आरामदायक सीट पर बैठकर एक 1000km चलते है तो हम अपने जीवन के कम-से-कम तीन से पांच माह खो देते हैं।क्योंकि ऐसी मुद्रा में लगातार बैठे रहने की वजह से आपके अंगों पर बुरा बहुत असर होता है कि उनके काम करने की शक्ति में कमी आ जाती है और वे बहुत कमजोर हो जाते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने शरीर को इस तरह तैयार करें कि रीढ़ को सीधा रखते हुए हमारे शरीर का ढांचा और स्नायुतंत्र आराम की स्थिति में बने रहें।
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