
तुलसी आयुर्वेदिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और हमारी भारतीय संस्कृति में भी तुलसी के पौधे का एक प्रकार से विशेष महत्व है। तुलसी का पौधा तन और मन को शुद्ध रखता है। हर घर में तुलसी का पौधा मिल जायेगा।अगर आपके घर में भी तुलसी का पौधा लगा हुआ है तो आप इसके नित्य सेवन से जुखाम, खाँसी, पेट दर्द, दमा, कब्ज, निमोनिया आदि अनगिनत बिमारियों से बच सकते है। वैसे बता दे तुलसी का पौधे का उपयोग किसी न किसी तरीके से आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है ।भारतीय हिन्दू लोग तुलसी को देवी मानते है । तुलसी की पूजा भी की जाती है और यह हमारे लिए स्वास्थ्य का खज़ाना भी है। तुलसी के पौधा अपने औषधीय गुणों के कारन आयुर्वेद में अधिक उपयोग किया जाता है। अब हम तुलसी का उपयोग और फायदा देखते है।
बुखार – बुखार होने पर एक गिलास पानी में 15-20 तुलसी के पत्तों का चूर्ण और 5-6 इलायची का पाउडर मिलाकर उबालें और जब पानी आधा गिलास रह जाये तब तक उबाले और दिन में 2-3 बार पिएं।
आप कुछ तुलसी के पते, 1-2 काली मिर्च, थोड़ी अदरक मिलकर काढ़ा बना ले। आप चाहो इस काढ़े में थोड़ी चीनी और दूध भी डाल सकते है ।ये काढ़ा आपको बुखार के अलावा सर्दी झुकाम में भी बहुत फायदा करेगा।
कान का दर्द –तुलसी का रस हल्का गर्म करके दो तीन बून्द कान में डालने से कान के दर्द में आराम मिलता है और कान का इन्फेक्शन भी दूर होता है ।
हृदय रोग –इस रोग में तुलसी का नित्य सेवन करना चाहिए जिससे हमारे ब्लड में कोलोस्ट्रोल का स्टार घटता है।
लिवर के लिए – जिस मरीज के लिवर की प्रॉब्लम हो उसको १०-१५ तुलसी के पते पानी से अच्छे से धोकर रोजाना सुबह चबाना चाहिए इस रोग में आराम मिलेगा ।
सर्दी-खांसी – तुलसी की पतिया कफ नाशक होती है तुलसी की कुछ पति को अदरक के साथ चबाने से सर्दी खासी में आराम मिलता है।
पेट दर्द में –10-15 तुलसी की पत्तियों को पानी के साथ मिला कर पीस ले और नाभि व पेट के आस-पास इस लेप को लगा ले पेट दर्द में आराम मिलेगा।
पाचन समस्या – अगर किसी को पाचन समस्या हो और गैस (कब्ज) या दस्त की समस्या हो तो एक गिलास पानी में 10-15 तुलसी की पत्तियों को डालकर इस पानी को उबालें और इसका काढ़ा बना ले और इस काढ़े में चुटकी भर सेंधा नमक मिलकर पीजाये फायदा मिलेगा ।
बवासीर – तुलसी के बीजो का चूर्ण को ताज़ा दही के साथ लेने से खूनी बवासीर में फायदा करता है।
चर्म रोग – तुलसी में त्वचा सम्बन्धी रोगो को दूर करेने के गन भी पाए जाते है जैसे- दाद खांज, खुजली और त्वचा के अन्य रोगों में । तुलसी के ताज़ा पत्तियों को संक्रमित त्वचा पर रगड़ें आराम मिलेगा । तुलसी का अर्क भी प्रयोग में ले अर्क को प्रभावित जगह पर लगाएं। इससे इंफेक्शन भी नही फैलता और कुछ ही दिनों में रोग भी दूर हो जाता है।
चक्कर आने पर – अगर चक्कर आ रहे है तो आप तुलसी की पतियों का रस शहद में मिलकर चाटने र चाटने से चक्कर आने बंद हो जाते है।
दस्त और उल्टी में –दस्त और उल्टी होने पर अदरक का रस, छोटी इलायची व तुलसी के पत्तों के रस की मात्रा को बराबर मिलाने से लेने से उल्टी नही होती। तुलसी के पत्तों को भूने जीरे के साथ शहद में मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से दस्त में आराम मिलता है।
बालो के लिए :–
तुलसी की कुछ बून्द तेल में डालकर बालो में मालिस करने पर बालो की रूसी ख़त्म होती है और बल झड़ना बंद हो जाते है। तुलसी का लेप बालो में झाड़ो तक लगाने से सर में खुजली बंद हो जाती है ।
- तुलसी का उपयोग आप चहरे के दाग दब्बे मिटने में भी किया जाता है तुलसी को पीस कर लगाले।
- इसका उपयोग डयबिटीज रोगो की लिए भी किया जा सकता है।
- मुँह की दुर्गन्ध में भी तुलसी खाने से फायदा होता है।
- तुलसी के कुछ पते पानी में डालने से और उस पानी को पिने से रोग प्रतिरोग क्षमता बढ़ती है।
- ऐसे तो तुलसी के बहुत सरे गुण है पर तुलसी कैंसर , बी पि , तनाव, और इन्फेक्शन में बहुत गुणकारी है।
- तुलसी का उपयोग करते समय इसको दातो से चबाना नहीं चाहिए सीधे ही निगल लेना चिहिए। तुलसी में पारा का अंश होता है जो दातो की परत को नुकसान हो सकता है।
9 thoughts on “तुलसी के उपयोग”