अनुलोम-विलोम प्राणायाम(Anulom Vilom Pranayama in Hindi) सभी उम्र के लोगो के लिए एकदम सही है। इस प्रणायाम को अप्पको कम से कम 60 बार करना चाहिए। इससे साँस या सांस लेने की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है? Anulom Vilom Pranayam in Hindi
अनुलोम-विलोम प्राणायाम एक प्रकार का प्रणायाम है जो एक के बाद एक नाक से स्वास लेने का अभ्यास है और यह एक बहुत ही एनर्जेटिक और तनाव व चिंता को दूर करने में बहुत असरकारक है। अनुलोम-विलोम को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते है , यह हमारे शरीर में शुद्ध वायु का संचरण करने में सहयोग करता है और हमें एनर्जी प्रदान करता है।
ये प्राणायाम कोई भी कर सकता है बस इसमें एक नाक से स्वास खींचना और दूसरे नाक से छोड़ना रहता है अगर ये तरीके से नहीं किया जाये तो हमें फायदे नहीं होकर नुकसान हो सकता है यदि इस प्राणायाम को सही विधि से किया जाये तो यह हमारे शरीर के वात, पित्त और कफ को संतुलन बनता है।
अनुलोम-विलोम स्वास सम्बंधित बीमारी, अर्थराइड्स, स्टूडेंट को पढाई में एकाग्रता बढ़ाने में , मानसिक तनाव को काम करता है, आदि कई प्रकार के रोगो में लाभदायक है। इसे वैकल्पिक श्वास तकनीक के रूप में भी जाना जाता है, श्वसन समस्याओं और अस्थमा के लिए उत्कृष्ट है। यह फेफड़ों के समुचित कार्य को सुविधाजनक बनाता है, तनाव को कम करता है, आपके मूड को बढ़ाता है।
यहाँ अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने की विधि और फायदे के बारे में बताया गया है-
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अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने की विधि:-Anulom Vilom Steps in Hindi
- ये प्राणायाम करने के लिए आपको पद्मासन की मुद्रा में बैठना होगा, मतलब आपको अपने दाहिने पैर के पंजे को बाये पैर की जांघ पर और बाये पैर के पंजे को दाहिने जांघ पर रखने पर ये पोजीशन बन जाएगी और आंख बंद करके बैठ जाये। अगर आप पद्मासन की पोजीशन नहीं बैठ सकते तो आप आलथी पालथी मारकर बैठ जाये और ऐसे भी नहीं बैठ सकते तो आप कुर्सी पर बैठकर भी ये आसान कर सकते है।
- बाये हाथ की हथेली को जांघ बाये घुटने पर टिका ले और सीधे बैठ जाये।
- अब आप अपने दायें नाक को दायें हाथ के अंगूठे से बंद करे और बायें नाक से श्वास ले फिर और धीरे धीरे श्वास ले और फेफड़ो में श्वास भरे।
- इसके बाद दायें नाक से अंगूठा हटा ले और बायें नाक को दाहिने हाथ की ही तीसरी अंगुली मतलब अनामिका से बंद करे और दायें नाक से धीरे धीरे श्वास छोड़े और जितना टाइम आपको श्वास खींचने में लगा उतना ही श्वास छोड़ने में लगाना चाहिए।
- अब आप 5 सेकंड श्वास रोके फिर वापस दायें नाक से ही श्वास धीरे धीरे खींचे और वापस अब दायें नाक को अंगूठे से बंद करे और बायें नाक से धीरे धीरे छोड़े।
- ये क्रिया 5-6 बार दोहराये और फिर धीरे धीरे अभ्यास के बाद इसे बढ़ा ले।
- अनुलोम-विलोम करते समय ध्यान केंद्रित होना चाहिए और पूरा ध्यान सांसो पर होना चाहिए। योग करने में क्या स्वधानी बरतें
ये आसान खुली जगह जहा ताजा हवा आती हो वातावरण अच्छा हो, और सुबह के समय करना ज्यादा बढ़िया रहता है।ये आसन अन्य प्राणायामों से सरल है और अधिक लाभदायक है।
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अनुलोम-विलोम करने के फायदे:- Anulom Vilom Pranayam Benefits in Hindi
- अनुलोम-विलोम करने से आपका मानसिक तनाव कम होता है, एकाग्रता बढ़ाता है और मन को शांत करता है इसे रोजाना करे।
- इस प्राणायाम को रोजाना करने से चहरे का तेज बढ़ता है।
- यह हमारे मानसिक तनाव ही नहीं हमारे शरीर को स्वस्थ बनता है, दिल से सम्बंधित बीमारी को ठीक करता है और बल भी बढ़ाता है।
- ये प्राणायाम हमरे शरीर के टेम्प्रेचर को नियत बनाये रखता है और हमारे त्री दोष वात, कफ और पित में हुई गड़बड़ी को ठीक करने में सहयोग करता है।
- ये हमारे ब्लड सर्क्युलेशन में हुई गड़बड़ी को ठीक करता है।
- हमारे पूरे श्वसन तंत्र को साफ और मजबूत बनता है।
- इस आसन से सिर दर्द से राहत मिलती है।
- यह अपने शरीर के अंदर से विषाक्त पदार्थों को बहार निकलते है।
- स्थमा और एलर्जी जैसे श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए बहुत बढ़िया है।
- मानसिक समस्याओं जैसे डिप्रेशन, चिंता, तनाव, तनाव आदि के लिए लाभकारी है।
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अनुलोम-विलोम के लिए कुछ महत्वपूर्ण बाते : –
ध्यान रहे हमेशा सुबह खाली पेट ही प्राणायाम करने की कोशिश करें । यदि आपके पास सुबह समय नहीं मिलता है, तो आप इसे शाम को कर सकते है। लेकिन ध्यान रहे की अपने भोजन और प्राणायाम के बीच में कई घंटे का अंतर रखें।
हृदय रोग या रक्तचाप से पीड़ित लोगों को इस प्रक्रिया के समय सांस लेने से बचना चाहिए। गर्भावस्था और पीरियड्स से पीड़ित महिलाओं को इससे बचना चाहिए।
इस अभ्यास को ज़्यादा देर तक नहीं करे और अपनी सीमा से हटकर स्वास और स्वास छोड़ने की अवधि बढ़ाएं।
जब आप नाड़ी शोधन करने की कोशिश कर रहे है तो आप स्वास लेना, रोकना, और स्वास छोड़ना ये सभी आपको सामान अवधी में करना चाहिए। इसे समान अवधी करना चाहिए ये शुरुआती लोगों के लिए है।
इस अभ्यास के समय ये सोचना चाहिए की आपकी सभी अशुद्धियाँ स्वास छोड़ते हुए बाहर आ गई हैं। हर स्वास के साथ आपके मन में सकारात्मक ऊर्जा आ रहे है।
इस अनुलोम-विलोम प्राणायाम(Anulom-Vilom Pranayama in Hindi) श्वास तकनीक का आनंद लें और अपने मन और शरीर को शुद्ध करें। अगर आपको ये लेख सही लगे और यह लेख आपके लिए उपयोगी है तो नीचे टिप्पणी करके अपने अनुभव हमारे साथ साझा करें।
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